रेजिडेंट मेडिकल डॉक्टर्स का सुसाइड अल्टीमेटम, काम की विषम परिस्थितियों को लेकर फाइमा को लिखा पत्र, डॉ. बाला सरस्वती की मौत का दिया हवाला

पत्र में लिखा गया है कि यदि ये पत्र मुख्यमंत्री जी यदि आप पढ़ रहे हैं तो आप हमारी परेशानी समझे क्योंकि आपकी बेटी भी डॉक्टर है और हम भी आपके बच्चे ही हैं हम भी चाहते हैं कि हम अच्छी पढाई करें, अच्छी डिग्री लें और मरीजों की सेवा करें लेकिन इस कॉलेज का माहौल हम लोगों को आत्महत्या करने पर मजबूर कर रहा है, आपसे निवेदन हैं कि डॉक्टर्स की संख्या बढ़ाई जाये जिससे हम फर्स्ट ईयर के स्टूडेंट्स से 24 से 36 घंटे काम ना लिया जाये।

Atul Saxena
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Bhopal News : मध्य प्रदेश में डॉक्टर्स की कमी को लेकर बहुत बातें होती हैं, विपक्ष भी इस मुद्दे को लेकर सरकार पर हमलावर रहता है और सरकार को घेरता है लेकिन अब खुद डॉक्टर्स ने सरकार को चेतावनी दी है, गांधी मेडिकल कॉलेज के 5 डॉक्टर्स ने तनावपूर्ण माहौल, टॉर्चर, सीनियर्स के दबाव का हवाला देते हुए दो महीने बाद 31 मई को सामूहिक आत्महत्या की चेतावनी दी है, डॉक्टर्स ने ये पत्र अपनी एसोसियेशन FAIMA के पास भी भेजा है, वे इसे वायरल भी कर रहे हैं।

गांधी मेडिकल कॉलेज में तनावपूर्ण माहौल का आरोप, डॉक्टर्स ने लिखा पत्र  

गांधी मेडिकल कॉलेज में पढ़ने वाले फर्स्ट ईयर के 5 स्टूडेंट्स ने (Residents doctor) ने सरकार के उन दावों की पोल खोल दी है जिसमें ये कहा जाता है कि मेडिकल कॉलेज के स्टूडेंट्स को बेहतर सुविधाएँ और अच्छा माहौल सरकार उपलब्ध कराया जाता है, गांधी मेडिकल कॉलेज के 5 स्टूडेंट्स ने जो पत्र वायरल किया है उसमें उन्होंने माहौल के लिए TOXIC शब्द का प्रयोग किया है, लिखा है कॉलेज और अस्पताल का माहौल तनावपूर्ण है, सीनियर्स दबाव बनाते हैं, काम का प्रेशर अधिक है।

पत्र में डॉ आकांशा महेश्वरी और डॉ बाला सरस्वती की आत्महत्या का जिक्र

स्टूडेंट्स ने पिछले दिनों दो डॉक्टर्स डॉ आकांशा महेश्वरी और डॉ बाला सरस्वती की आत्महत्या का जिक्र करते हुए लिखा कि हमें लगा था कि इन दो आत्महत्याओं के बाद माहौल बदलेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ, सैकड़ो फर्स्ट ईयर स्टूडेंट्स के साथ ऐसा हो रहा है लेकिन इन दो ने आत्महत्या की हिम्मत जुटाई , मरना तो और भी बहुत चाहते हैं लेकिन जीवन के सामने हिम्मत नहीं जुटा पाते।

दो महीने बाद 31 मई को सामूहिक आत्महत्या की दी चेतावनी 

इन स्टूडेंट्स ने लिखा हमें 24 से 36 घंटे काम कराया जाता है और अच्छे स्वास्थ्य सेवाओं की उम्मीद की जाती है ये हमारे साथ ज्यादती और अन्याय है हमें काम के लिए स्वस्थ्य वातावरण नहीं मिलता, गालियाँ मिलती हैं, यदि दो महीने के अन्दर इन व्यवस्थाओं में सुधार नहीं हुआ तो दो महीने बाद 31 मई को हम पांच डॉक्टर्स एक ही दिन सामूहिक आत्म हत्या कर लेंगे, तब हमारे इस पत्र को ही सुसाइड  not मान लिया जाये।

मुख्यमंत्री से किया ये निवेदन 

पत्र में लिखा गया है कि यदि ये पत्र मुख्यमंत्री जी यदि आप पढ़ रहे हैं तो आप हमारी परेशानी समझे क्योंकि आपकी बेटी भी डॉक्टर है और हम भी आपके बच्चे ही हैं हम भी चाहते हैं कि हम अच्छी पढाई करें, अच्छी डिग्री लें और मरीजों की सेवा करें लेकिन इस कॉलेज का माहौल हम लोगों को आत्महत्या करने पर मजबूर कर रहा है, आपसे निवेदन हैं कि डॉक्टर्स की संख्या बढ़ाई जाये जिससे हम फर्स्ट ईयर के स्टूडेंट्स से 24 से 36 घंटे काम ना लिया जाये।

रेजिडेंट मेडिकल डॉक्टर्स का सुसाइड अल्टीमेटम, काम की विषम परिस्थितियों को लेकर फाइमा को लिखा पत्र, डॉ. बाला सरस्वती की मौत का दिया हवाला

रेजिडेंट मेडिकल डॉक्टर्स का सुसाइड अल्टीमेटम, काम की विषम परिस्थितियों को लेकर फाइमा को लिखा पत्र, डॉ. बाला सरस्वती की मौत का दिया हवाला

 


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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