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Fri, Dec 19, 2025

ग्रीष्मकालीन मूंग का 8682 रुपये और उड़द का 7400 रुपये प्रति क्विंटल MSP पर होगा उपार्जन, पंजीयन के लिए ये हैं जरूरी दस्तावेज

Written by:Atul Saxena
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किसानों से ग्रीष्मकालीन मूंग-उड़द की उपार्जित मात्रा के भुगतान के लिये कम्प्यूटराईज प्रिंटेड रसीद उपार्जन करने वाली संस्था द्वारा दी जायेगी जिसमें किसान का नाम, बैंक खाता क्रमांक तथा भुगतान योग्य राशि का विवरण होगा। इस रसीद पर उपार्जन केन्द्र प्रभारी के हस्ताक्षर भी किये जायेंग
ग्रीष्मकालीन मूंग का 8682 रुपये और उड़द का 7400 रुपये प्रति क्विंटल MSP पर होगा उपार्जन, पंजीयन के लिए ये हैं जरूरी दस्तावेज

ग्रीष्मकालीन मूंग और उड़द उपार्जन के लिए पंजीयन की तारीख की घोषणा होने के बाद इनके उत्पादक किसानों के चेहरों पर राहत दिखाई दे रही है उधर इसपर सियासत भी शुरू हो गई, सरकार इसे उसकी किसान हितैषी प्रक्रिया का हिस्सा बता रही है  तो वहीं कांग्रेस इसे अपनी और किसानोंकी जीत बता रही है, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने इसे लेकर X पर पोस्ट भी साझा की है, खैर इस खबर में हम किसानों को मूंग और उड़द की एमएसपी और पंजीयन प्रक्रिया की जानकारी दे रहे हैं।

मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने शुक्रवार शाम X पर वीडियो सन्देश जारी करते हुए ग्रीष्मकालीन मूंग और उड़द के उपार्जन के लिए पंजीयन की तारीख की घोषणा की, पंजीयन 19 जून से शुरू होंगे, उन्होंने मूंग और उड़द उत्पादक किसानों से अपने नजदीकी उपार्जन केंद्र पर पंजीयन कराने का अनुरोध किया है, उन्होंने बताया कि सरकार ने किसानों के हित में निर्णय लेते हुए ग्रीष्मकालीन मूंग एवं उड़द को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर उपार्जन किये जाने संबंधी निर्णय लेकर प्रस्ताव केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय को भेजा है।

मूंग और उड़द की ये है MSP 

कृ‍षि लागत एवं मूल्य आयोग भारत सरकार द्वारा ग्रीष्मकालीन मूंग का न्यूनतम समर्थन मूल्य 8682 रुपये प्रति क्विंटल और उड़द का न्यूनतम समर्थन मूल्य 7400 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित है। राज्य किसान कल्याण एवं कृषि विभाग द्वारा केन्द्र को भेजे गये प्रस्ताव में किसानों का पंजीयन, उपार्जित फसल की गुणवत्ता, परिवहन, भुगतान के साथ प्रचार-प्रसार की कार्य-योजना भी प्रेषित की गई है।

36 जिलों में मूंग और 13 जिलों में उड़द का उत्पादन 

मध्य प्रदेश के 36 जिलों में मई के तीसरे सप्ताह से जून के पहले सप्ताह तक मूंग फसल कटाई और प्रदेश के 13 जिलों में मई के तीसरे सप्ताह से जून के पहले सप्ताह तक उड़द फसल की कटाई की जाती है। प्रदेश में मूंग का संभावित क्षेत्राच्छादन 14.35 लाख हेक्टेयर है और संभावित उत्पादन 20.23 लाख मीट्रिक टन है। इसी प्रकार उड़द का संभावित क्षेत्राच्छादन 0.95 लाख हेक्टेयर है संभावित उत्पादन 1.24 लाख मीट्रिक टन है।

एमएसपी पर पंजीयन प्रक्रिया, जरूरी दस्तावेज 

सरकार ने किसनों के लिए महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए कहा है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर उपार्जित की जाने वाली मूंग एवं उड़द के लिये संबंधित किसानों को पंजीयन के लिये किसान की फसल का नाम, आधार नंबर, बैंक खाता नंबर, आईएफसी कोड सहित भूअधिकार ऋण पुस्तिका की स्व-प्रमाणित छायाप्रति संलग्न करना होगी। बैंक खाता राष्ट्रीयकृत बैंक एवं जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक की शाखा का होना अनिवार्य है। सिकमी/बटाई काश्तकार को पंजीयन के लिये आवेदन के साथ सिकमी के अनुबंध की स्व-प्रमाणित प्रति संलग्न करना होगी।

उपार्जित मूंग, उड़द का परिवहन

उपार्जन केन्द्र से गोदाम तक मूंग-उड़द परिवहन करने के लिये परिवहनकर्ताओं की नियुक्ति एवं अनुबंध की कार्रवाई की जायेगी। उपार्जन केन्द्र पर प्रतिदिन उपार्जन मात्रा की समीक्षा भी होगी। ई-उपार्जन साफ्टवेयर के माध्यम से ग्रीष्मकालीन मूंग-उड़द के परिवहन के लिये जारी रसीद पर परिवहनकर्ता की प्राप्ति कर उसे मूंग-उड़द सौंपा जायेगा। किसी कारणों से एजेंसियों द्वारा नियुक्त परिवहनकर्ता परिवहन करने में विफल होता है तो वैकल्पिक व्यवस्था जिला स्तरीय समितियों द्वारा की जायेगी। परिवहनकर्ता द्वारा विलम्ब से परिवहन करने पर उसके विरुद्ध नियमानुसार उपार्जन एजेंसियों द्वारा पेनाल्टी लगाई जायेगी।

गुणवत्ता के लिए जिला स्तर पर प्रशिक्षण 

रबी विपणन वर्ष 2025-26 के लिये केन्द्र सरकार द्वारा निर्धारित एक समान विनिर्दिष्टियां के अनुरूप उपार्जन किया जायेगा। इसके अनुसार ग्रीष्मकालीन मूंग-उड़द के उपार्जन करने की जिम्मेदारी संबंधित उपार्जन करने वाली सहकारी संस्थाओं की होगी। निर्धारित मापदण्ड अनुसार उपार्जन सुनिश्चित करने के लिये सहकारी संस्थाओं/मध्यप्रदेश राज्य सहकारी विपण संघ मर्यादित भोपाल/म.प्र. वेयर हाउसिंग एवं लॉजिस्टिक कार्पोरेशन, खाद्य, कृषि, सहकारिता एवं राजस्व विभाग के मैदानी अमले को ग्रीष्मकालीन मूंग-उड़द की गुणवत्ता हेतु जिला स्तर पर प्रशिक्षित किया जायेगा।

उपार्जन केन्द्रों पर किसानों के‍ लिये सुविधाएं

  • शासन ने तय किया है कि उपार्जन केन्द्रों पर किसानों की सुविधा के लिये व्यवस्था उपार्जन समिति होगी, जो केन्द्र पर किसानों के बैठने के लिये छायादार स्थान, साफ पीने के पानी, शौचालय एवं फर्स्ट बॉक्स सुविधा उपलब्ध करायेगी।
  • उपार्जन किये जाने वाले खाद्यान की गुणवत्ता परीक्षण के लिये आवश्यक उपकरण की व्यवस्था भी होगी। इसके लिये विस्तृत परीक्षण भी दिया जायेगा।
  • उपार्जन केन्द्र पर एक बैनर लगाया जायेगा, जिसमें केन्द्र का नाम, एफएक्यू गुणवत्ता का मापदण्ड और भुगतान का उल्लेख होगा।
  • जिन उपार्जन केन्द्रों पर अत्यधिक खरीदी की संभावना होगी, उन केन्द्रों पर अतिरिक्त कर्मचारियों की व्यवस्था की जायेगी। साथ ही निर्धारित केन्द्रों पर लैपटॉप, प्रिन्टर, बैटरी आदि को चालू अवस्था में रखा जायेगा।