भोपाल
लॉकडॉउन (l]ckdown) के कारण प्रदेश की आधी से ज्यादा आबादी अपने घरों में कैद है। आवाजाही पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा हुआ है। ऐसे मे बहुत से व्यवसाय (industries) संकट मे आ गए हैं जिनमें सबसे ज्यादा मुश्किल उठानी पड़ रही है मटका (mud pots) और कूलर (cooler) विक्रेताओं को।
प्रशासन ने कूलर को आवश्यक सामान की श्रेणी में नहीं स्वीकारा
दरअसल गर्मी (summer season) का मौसम आ गया है और गर्मी भी अब काफी तेजी से अपने तेवर दिखा रही है। ऐसे में लोगों को कूलर (cooler) की सबसे ज्यादा जरूरत हो रही है ताकि वो अपने घरों को ठंडा (cool) रख सके। लेकिन इस बार ऐसा लग रह है कि लोगों को अभी कुछ और समय बिना कूलर (cooler) के गुजारना पड़ेगा क्योंकि प्रशासन (administration) के पास दुकानदार (shopkeepers) कूलर बेचने की इजाजत के लिए पहुंचे थे, उन्होने ये भी कहा कि बिना दुकान खोले ही ऑनलाइन बुकिंग (online booking) लेकर कूलर बेच देंगे। लेकिन प्रशासन कूलर को जरूरी सामान (essential goods) मानने के लिए तैयार नहीं है। जिस कारण अमूमन सभी दुकानें (shops) बंद हैं। कूलर विक्रेताओं की मानें तो उनका कहना है कि लॉकडॉउन (lockdown) के चलते दुकानें बंद हैं ऐसे में कूलर लोग लेने नही आ पा रहे हैं। कूलर निर्माताओ ने मार्च (march) तक कूलर (cooler) तो बना लिए थे लेकिन उसकी डिलीवरी नही कर पाए जिस कारण इस बार काफी घाटा उठाना पड़ सकता है।
मटके का ठंडा पानी भी इस बार नही हो रहा नसीब
कोरोना से बचने के लिए लोगो ने फ्रीज (fridge) का पानी पीना फिलहाल बंद कर रखा है। ऐसे में प्राकृतिक रूप से ठंडा पानी पीने का एक ही जरिया है वो है मटका (mud pot)। पर लॉकडॉउन के कारण कई लोग मटका लेने निकल नहीं पा रहे हैं और कुछ खरीदने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे है। जिस वजह से मटके का व्यापार करने वालों के सामने दो जून की रोटी का संकट आ खड़ा हुआ है। हर साल की बात करे तो मार्च के शुरूआत से ही लोग सड़क किनारे, मटके लेकर अपनी दुकानें सजा लेते थे, लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। जहां हर बार पूरे शहर में लगभग 1000 दुकानें सड़क किनारे लगती थी, इस बार पूरे शहर में केवल 300 दुकानें (shops) ही लगी हैं।