RTI की जानकारी नहीं देने का बहाना पड़ा महंगा, पूर्व लोक सूचना उपायुक्त सहकारिता अधिकारी पर लगाया जुर्माना

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Fine on Former Information Officer Deputy Commissioner Satna : हाथ से लिखे होने के आधार पर आरटीआई आवेदन को खारिज करना एक अधिकारी को महंगा पड़ गया। राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने सतना में उपायुक्त सहकारिता रहे वर्तमान में टीकमगढ़ में पदस्थ शिव प्रकाश कौशिक के उपर ₹25000 का जुर्माना लगाया है। सिंह ने स्पष्ट किया कि हाथ से लिखा आरटीआई आवेदन कानूनी रूप से मान्य है।

ये जानकारी मांगी थी 

सतना आरटीआई आवेदक उदयभान चतुर्वेदी ने आरटीआई आवेदन दायर कर सतना कलेक्टर के निर्देश पर हुई जय किसान ऋण माफी योजना में फर्जी ऋण दाताओं की जांच जिसमें 4 समिति प्रबंधकों को निलंबित किया गया था उसकी रिपोर्ट मांगी थी। पर लोक सूचना अधिकारी उपायुक्त सहकारिता सतना ( वर्तमान में उपायुक्त सहकारिता टीकमगढ़)  शिव प्रकाश कौशिक द्वारा आरटीआई आवेदक के आवेदन को इसीलिए अमान्य कर दिया क्योंकि आरटीआई आवेदक द्वारा हाथ से लिख कर आरटीआई आवेदन प्रस्तुत किया था। लोक सूचना अधिकारी द्वारा आरटीआई आवेदन को रिजेक्ट करते हुए यह लेख किया गया कि “आरटीआई आवेदन निर्धारित प्रारूप में नहीं है।”

 

हाथ से लिखा RTI आवेदन कानूनी रुप से मान्य है 

राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह द्वारा आरटीआई आवेदन का अवलोकन किया गया जिसमें पाया गया कि आरटीआई आवेदन उदयभान चतुर्वेदी द्वारा हस्तलिखित है एवं इसके साथ ही आवेदक ने वांछित जानकारी का स्पष्ट उल्लेख किया है साथ ही आरटीआई आवेदन के फीस के रूप में ₹10 का पोस्टल आर्डर भी प्रस्तुत किया गया था। सिंह ने अपने आदेश मे स्पष्ट किया कि इस तरह के आधार पर आरटीआई आवेदन को खारिज करना सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत अवैध है। सिंह ने कहा कि भारत के प्रत्येक नागरिक को सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 3 और 6 के तहत आरटीआई दायर कर जानकारी प्राप्त करने का अधिकार है।

सिंह ने ये भी बताया कि मध्यप्रदेश सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा समय-समय पर अधिसूचना जारी की गई है कि आरटीआई आवेदन दायर करने का कोई निर्धारित प्रारूप नहीं है। आयोग के समक्ष स्पष्ट है की सामान्य नागरिक आरटीआई आवेदन हाथ से लिख कर कार्यालय में देखकर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और हस्तलिखित आरटीआई आवेदन कानूनी (विधिक) रुप से मान्य हैं।

 

लापरवाह अधिकारी बार-बार समन के बाद भी नहीं हुए हाजिर 

शिव प्रकाश कौशिक का पक्ष जानने के लिए सूचना आयोग द्वारा उन्हें दिनांक 16/12/2022 दिनांक 10/1/ 2023 दिनांक 1/2/ 2023 और 20/2/2023 को सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 के तहत सुनवाई समन जारी किए गए। पर आयोग के आदेश की अवहेलना करते हुए कौशिक नाही आयोग के समन पर आयोग के समक्ष उपस्थित हुए और ना ही उनके द्वारा लिखित में  अपना कोई पक्ष आयोग को उपलब्ध कराया।

 

सिंह ने लगाया पूरा जुर्माना

राज सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने अपने आदेश में लिखा  कि यह अधिनियम 2005 में लागू हुआ था। अब 17 वर्षों के बाद भी अगर अधिकारी इसी लापरवाही के साथ आरटीआई आवेदन का निराकरण करेंगे तो एक्ट  की उपयोगिता पर ही सवालिया निशान लग जाएगा।  सूचना के अधिकार अधिनियम में दोषी लोक सूचना अधिकारियों के विरुद्ध ₹250 प्रतिदिन एवं अधिकतम ₹25000 जुर्माने का प्रावधान है। सिंह ने कहा कि शिव प्रकाश कौशिक ने अपने लापरवाही पूर्ण रवैया से स्वयं को अधिकतम जुर्माने ₹25000 का भागी बनाया है।


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Harpreet Kaur

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