Jhansi Ki Rani : क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान भोपाल के सेवा पूर्व शिक्षक प्रशिक्षुओं के लिए नाट्य कार्यशाला और प्रदर्शन के तहत शुक्रवार को नाट्य प्रस्तुति ‘दास्तान-ए-झाँसी” का मंचन किया गया। नाटक ‘दास्तान-ए-झाँसी’ का लेखन अमिताभ श्रीवास्तव ने और नाट्य आलेख हरिकेश मौर्य, परिकल्पना रमण कुमार और निर्देशन अरुणाभ सौरभ ने किया। प्रस्तुति बी.ए बी.एड पाँचवा सेमेस्टर के क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान के विद्यार्थियों की गई जिसे मैलोरंग नई दिल्ली के सहयोग से किया गया। नाटक में इतिहास, मिथक और हमारा समय तीनों को एक साथ प्रस्तुत करके रचनात्मक आयाम दिया गया है। दास्तान के शिल्प में एक नई भाव-भंगिमा और अर्थ-छवि के साथ झाँसी नगर और लक्ष्मीबाई हमारे सामने आती है।
नाटक ‘दास्तान-ए-झाँसी’ का मंचन
दास्तान-ए-झांसी एक ऐतिहासिक नाटक है। यह नाटक नारी शक्ति को केंद्र में रख कर बनाया गया है। नाटक की शुरुआत कथावाचक करता है और कथा को आगे बढ़ाता है। इस दौरान कई जगह सुभद्रा कुमारी चौहान कि कविता झांसी वाली रानी से कुछ पंक्तियों को संगीत में पिरोकर उसका प्रयोग किया गया है, जो इस नाटक को एक संगीतमय प्रस्तुति का रूप देती है। नाटक वीर सिंह जूदेव द्वारा बलवंत नगर के किले के निर्माण से लेकर बलवंत नगर का नाम झाई सी यानी कि झांसी कैसे पड़ा, तक की यात्रा दिखाता है। साथ ही साथ यह नाटक मनु से झाँसी की प्रसिद्ध रानी लक्ष्मीबाई बनने कि प्रेरक कहानी को जीवंत करता है। गुलाम भारत की पृष्ठभूमि पर आधारित यह नाटक एक निडर महिला के जीवन और संघर्ष पर आधारित है, जिसने सामाजिक मानदंडों को चुनौती दी और ब्रिटिश उत्पीड़न के खिलाफ लड़ाई में अपने लोगों का नेतृत्व किया। वे महिला सशक्तिकरण की प्रतिमूर्ति थीं। आज भी वे महिलाओं के लिए सशक्तिकरण और समानता की मूर्ति हैं। वे हमें सभी बाधाओं के बावजूद अपने लिए, अपने अधिकारों, अपनी स्वतंत्रता और अपनी आवाज के लिए खड़े होने के लिए प्रेरित करती हैं।
दस दिन में तैयार हुआ नाटक
क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान में यह नाटक दस दिवसीय कार्यशाला में तैयार किया गया। इस नाट्य कार्यशाला में रमण कुमार, डॉ प्रकाश झा जैसे विशेषज्ञों ने रंगमंच के तमाम बारीकियों मसलन अभिनय, संगीत, मंच परिकल्पना और नृत्य आदि तमाम अवयवों पर प्रशिक्षण दिया गया। नाटक का निर्देशन अरुणाभ सौरभ ने किया। कार्यशाला में संगीत प्रशिक्षक राजेश पाठक, अब्दुस अंसारी,रोहित कुमार, नृत्य प्रशिक्षक मार्टिना, साक्षी झा और मंच पार्श्व के लिए हर्ष मनु, हरिकेश मौर्य, शाहिल गुप्ता आदि शामिल थे। कार्यक्रम के समन्वयक डॉ. अरुणाभ सौरभ, डॉ. सुरेश मकवाणा, विस्तार शिक्षा की अध्यक्ष प्रोफेसर चित्रा सिंह तथा प्राचार्य प्रोफेसर जयदीप मंडल के साथ साथ क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान के सभी संकाय सदस्यों की उपस्थिति महत्वपूर्ण रही।