कैबिनेट गठन के बाद अब इन आईएएस अफसरों का बदलना तय!

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भोपाल। मध्य प्रदेश में सरकार बदलते ही बड़े स्तर पर अफसरों का फेरबदल भी जारी है। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने दर्जनों जिलो के कलेक्टर कमान संभालते ही बदल दिए। कैबिनेट गठन नहीं हो ने के कारण की आईएएस अफसर अभी तक हटाए नहीं गए थे। अब मंत्रियों को उनके विभाग बांट दिए गए हैं। इसलिए जल्द ही एक और प्रशासनिक सर्जरी होना तय मानी जा रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि, जिन अफसरों की अब नवागत मंत्रियों को पटरी मेल नहीं खाएगी वह बदले जाएंगे। ऐसे करीब 

ये अफसर हैं बदलाव के दायरे में

राधेश्याम जुलानिया : अपर मुख्य सचिव राधेश्याम जुलानिया ने लंबे समय तक जल संसाधन विभाग संभाला है। अभी जल संसाधन जुलानिया के पास ही है। मुख्य सचिव पद की दौड़ में पिछडऩे के कारण जुलानिया केंद्र जाना चाहते हैं, लेकिन केंद्र से मंजूरी नहीं मिलने तक उन्हें प्रदेश में ही रहना होगा। ऐसे में उनका जल संसाधन विभाग बदल सकता है। नए मंत्री हुकुम सिंह कराड़ा दबंग नेता माने जाते हैं, इसलिए उनसे पटरी बैठना भी चुनौतीपूर्ण रहेगा।

राजेश राजौरा : प्रमुख सचिव डॉ. राजेश राजौरा को कृषि विभाग में साढ़े पांच साल से ज्यादा का समय हो चुका है। इस कारण राजौरा का विभाग भी बदल सकता है, लेकिन अभी कांग्रेस सरकार की प्राथमिकता पर भी किसानों की कर्जमाफी है, इसलिए राजौरा का एकदम बदलाव नहीं होगा। कृषि मंत्री सचिन यादव बन गए हैं, इसलिए यदि उनसे पटरी बैठती है तो ही राजौरा विभाग में कुछ समय रुक पाएंगे।

विनोद सेमवाल : सेमवाल लंबे समय से जेल विभाग को संभाल रहे हैं। भोपाल जेल ब्रेक जैसी घटना के बाद भी उन पर कोई आंच नहीं आई। कांग्रेस सरकार में जेल विभाग मंत्री बाला बच्चन हैं। बाला अपने दोनों विभागों में अफसरों के बदलाव के मूड में हैं।

मोहम्मद सुलेमान : सुलेमान के पास लंबे समय से उद्योग विभाग है। भाजपा सरकार में जब सुलेमान की तत्कालीन मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया से नहीं पटी थी, तो मंत्री को ही बदल दिया गया था। अब नई सरकार में उद्योग विभाग खुद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने पास रखा है, इसलिए सीधे तौर पर मुख्यमंत्री की पसंद-नापसंद ही इसमें चलेगी।

पीसी मीना : अपर मुख्य सचिव मीना 2015 से कृषि उत्पादन आयुक्त हैं। तीन साल से ज्यादा वक्त होने के कारण उनकी जिम्मेदारी बदल सकती है। कृषि मंत्री सचिन यादव से पटरी बैठने पर ही मीना रुक सकेंगे। वैसे, कृषि में सभी प्रमुख अफसरों में आगे चलकर बदलाव हो सकता है।

जेएन कंसोटिया : प्रमुख सचिव कंसोटिया 2014 से महिला एवं बाल विकास विभाग में पदस्थ हैं। पोषण आहार घोटाला होने के बाद भी कंसोटिया नहीं बदले गए। अब महिला बाल विकास विभाग मंत्री इमरती देवी को मिला है। इसके तहत लंबे समय से पदस्थ होने के कारण कंसोटिया बदल सकते हैं।

संजय शुक्ल : पॉवर मैनेजमेंट कंपनी के एमडी संजय शुक्ल को यहां तीन साल हो गए हैं। इससे पहले शुक्ल मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी में एमडी रह चुके हैं। अब ऊर्जा विभाग मंत्री प्रियव्रत सिंह को मिला है, इसलिए उनसे संतुलन अनिवार्य होगा।

हरिरंजन राव : प्रमुख सचिव राव के पास लंबे समय से पर्यटन विभाग रहा है। राव एमडी से लेकर प्रमुख सचिव तक पर्यटन विभाग में रहे हैं। बीच में उनके विभाग बदलते रहे, लेकिन 2010 से 2018 तक राव के पास पर्यटन विभाग रहा है। इस दौरान दूसरे विभाग भी आते-जाते रहे, लेकिन पर्यटन नहीं छूटा।

– इनकी आधी सर्विस एक ही विभाग में

रजनीश वैश्य : 18 साल एनवीडीए में

इनकी 31 साल की नौकरी में से 18 साल नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण (एनवीडीए) में गुजरे हैं। 1985 बैच के वैश्य 27 अगस्त 1985 से नौकरी में आए थे। ट्रेनिंग के बाद पहली नियुक्ति 1987 में जबलपुर एडीओ के रूप में रही। फिर 1998 से 2002 तक एनवीडीए भोपाल में डायरेक्टर रहे। 2001 से 2005 तक एनवीडीए इंदौर डायरेक्टर रहे। इसके बाद 2008 से 2010 तक वापस एनवीडीए इंदौर डायरेक्टर रहे। इसके बाद 2012 में एनवीडीए उपाध्यक्ष बने तो अब तक हैं। जून 2019 में उनकी सेवानिवृत्ति है।

राघवेंद्र सिंह : इंदौरी अफसर बनकर रहे 1997 बैच के सिंह की पहली नियुक्ति 1998 में होशंगाबाद में रही। इन्होंने 20 साल की नौकरी में 11 साल इंदौर में गुजारे हैं। ये इंदौरी अफसर बनकर ही रहे। ये 2000 से 2002 तक इंदौर जिले में महू एसडीओ रहे। फिर छह महीने एकेवीएन-एमडी रहे। 2008 से 2010 तक इंदौर में बिजली कंपनी एमडी रहे। फिर कलेक्टर इंदौर 2010 से 2012 तक रहे। फिर कमर्शियल टैक्स कमिश्नर इंदौर 2015 से 2018 रहे। इसके बाद एक मई 2018 से इंदौर संभाग के कमिश्नर हैं।


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