भोपाल| मध्यप्रदेश में एस्मा लगाए जाने को लेकर तमाम आलोचनाएं जरूर हो रही हो और कांग्रेस इसे मुद्दा बनाने की कोशिश कर रही हो, लेकिन कोरोना महामारी को देखते हुए एस्मा लगाना बहुत जरूरी हो गया था|
दरअसल इंदौर में इस तरह की शिकायतें लगातार आ रही थी कि निजी अस्पताल इलाज में सहयोग नहीं कर रहे हैं और कई निजी अस्पतालों ने तो अपने संस्थानों में ताले तक डाल दिए हैं। इससे चिकित्सा सुविधाएं बुरी तरह से प्रभावित हुई हो रही थी। मुख्यमंत्री तक जब यही बात जब यह पहुंची तो उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे तत्काल एस्मा लागू करें और इसका उल्लंघन करने वालों को सीखचो के पीछे पहुंचाएं ।
मानवता के खिलाफ निजी अस्पताल इस समय भी व्यवसायिक दृष्टिकोण अपनाए हुए हैं जिसको देखते हुए यह निर्णय लेना बहुत जरूरी था। अब कोई भी निजी चिकित्सालय या डॉक्टर इलाज के लिए मना नहीं कर पाएगा और उसे सेवाएं देनी ही होंगी इसका उल्लंघन करने पर उस पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
आनद राय ने किया समर्थन
कांग्रेस ने जहां सरकार के प्रदेश में एस्मा लागू करने के फैसले का विरोध करते हुए तत्काल आदेश को वापस लेने की मांग की है वहीं व्यापमं घोटाले के व्हिसल ब्लोअर डॉ. आनंद राय ने सरकार के फैसले का स्वागत किया है| उन्होंने ट्वीट कर वर्तमान स्तिथि में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के फैसले को सही मानते हुए समर्थन किया है|
क्या है एस्मा
एस्मा कानून संसद द्वारा पारित अधिनियम है, जिसे 1968 में लागू किया गया था। हड़ताल को रोकने के लिए यह कानून लगाया जाता है। एस्मा लागू करने से पहले इससे प्रभावित होने वाले कर्मचारियों को समाचार पत्र या अन्य माध्यमों से सूचित किया जाता है। यह कानून अधिकतम छह माह के लिए लगाया जा सकता है। इसके लागू होने के बाद यदि कर्मचारी हड़ताल पर जाता है तो वह अवैध और दण्डनीय है। कानून का उल्लंघन कर हड़ताल पर जाने वाले किसी भी कर्मचारी को बिना वारंट के गिरफ्तार किया जा सकता है।