Fri, Dec 26, 2025

इस सीट पर मंत्री की साख दांव पर, जीत की चाबी कर्मचारियों और सर्वणों के पास

Written by:Mp Breaking News
Published:
इस सीट पर मंत्री की साख दांव पर, जीत की चाबी कर्मचारियों और सर्वणों के पास

भोपाल। राजधानी भोपाल की दक्षिण-पश्चिम विधानसभा सीट से इस बार कांग्रेस और भाजपा प्रत्याशी में कांटे की टक्कर है। कांग्रेस ने जहां अपने पूर्व विधायक पीसी शर्मा को मैदान में उतारा है वहीं दूसरी ओर भाजपा ने वर्तमान मंत्री उमा शंकर गुप्ता को मौका दिया है। वह यहां से लगातार विधायक हैं। लेकिन इस बार एमपी के चुनावी रण में आप और सपाक्स पार्टी भी दम भरती नजर आ रही हैं। आप के प्रदेश अध्यक्ष आलोक अग्रवाल और सपाक्स के डॉ. केएल साहू भी मैदान में हैं। सपाक्स पार्टी इस सीट पर सरकारी कर्मचारियों को रिझाने की कोशिश में है। वहीं, आप इस क्षेत्र के उच्च वर्ग पर डोरो जाल रही है। लेकिन प्रमुख मुकाबला तो कांग्रेस और भाजपा के बीच ही है। 

इस सीट पर सरकारी कर्मचारी निर्णायक

राजधानी की दक्षिण-पश्चिम सीट में शहर का एक बड़ा तबका पढ़े लिखे वर्ग से आते है। और यहां की आबादी सरकारी कर्मचारियों अधिक है। इसलिए कांग्रेस हो या फिर भाजपा दोनोंं ही दलों के लिए इस वर्ग का वोट बैंक सबसे महत्वपूर्ण है। सरकारी कर्मचारियों ने अभी तक अपना रूख किसी एक दल की ओर नहीं दिखाया है। इससे दोनों प्रत्याशियों में बेचैनी है। इसलिए दोनों दल अपनी जीत के दावे तो कर रहे हैं लेकिन उन्हें मालूम है कि इस बार जीत आसान नहीं है। पीसी और गुप्ता दोनों ताबड़तोड़ चुनाव प्रचार में जुटे हैं। 

यह है मतदाताओं का इतिहास

भाजपा 2003 से सत्ता में है। 1998 में पीसी शर्मा इस सीट पर विधायक चुने गए थे। जब भोपाल की विधानसभा सीटों का परिसीमन नहीं हुआ था। आंकड़ों के मुताबिक इस सीट पर सरकारी कर्मचारी और सामान्य वर्ग के लोग जीत दिलाने में निर्णायक भूमिका अदा करते हैं। इस क्षेत्र में 2,15,749 मतदाता हैं। इनमें से 30 हजार कायस्त हैं और 35 हजार ब्राह्मण हैं। वहीं, कुम मतदाताओं में से दो लाख मतदाता सरकारी कर्मचारी परिवार से ताल्लुक रखते हैं। इस सीट पर एससी एसटी एक्ट को लेकर हुए आंदोलन का असर भाजपा के वोट बैंक पर पड़ सकता है। सर्वणों की नाराजगी कांग्रेस के लिए जीत में परिवर्तित हो सकती है। इसलिए इस सीट पर सपाक्स अधिक जोर दे रही है।

उम्मीदवार मुद्दों से भटकाने की कर रहे कोशिश

इस बार भाजपा ने अपने दृष्टी पत्र में सरकारी कर्मचारियों से पांच जरूरी वादे किए हैं। कांग्रेस ने 15 वादे किए हैं। दोनों ही दल के प्रत्याशी चुनाव प्रचार के दौरन एससीएसटी मामले पर कुछ भी बोलने से कतरा रहे हैं। 

क्या है दोनों प्रत्याशियों की रणनीति

दोनों उम्मीदवार अपनी अपनी पार्टी के कद्दावर नेता हैं। दोनों को ही राजनीति का लंबा अनुभव है। इसलिए गुप्ता और पीसी घर घर जा कर वोट करने की अपील करते दिखाई दे रहे हैं। मोहल्ला बैठक का भी आयोज किया जा रहा है। दोनों प्रत्याशी कोशिश कर रहे हैं कि उनको इस बार सरकारी सर्मचारी वर्ग का वोट मिल सके। 

सरकारी कर्मचारी इसलिए हैं नाखुश

सराकरी कर्मचारियों के नेताओं का कहना है कि कई ऐसा मसले हैं जिनका निदान अभी तक सरकार ने नहीं किया है। इसमें प्रमुख मुद्दा है स्मार्ट सिटी निर्माण को दौरन कर्मचारियों का शोषण करना, मजदूरी विसंगति, अनुबंध कर्मचारियों का नियमितकरण, ग्रेड वेतन में विसंगति, लिपिक कर्मचारियों की मांगों की पूर्ति नहीं करना और दैनिक वेतन कर्मचारियों को नियमित रूप से उपलब्ध कराने के बाद भी सुविधाएं प्रदान नहीं करना। यह अहम मुद्दे हैं जो हम कई बार उठा चुके हैं। उन्होंने कहा कि इसके पहले भी सरकारी कर्मचारियों का गुस्सा दिग्विजय सिंह सरकार को नुकसान पहुंचा चुका है।