वक्फ़ संशोधन बिल पर कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा बोले- इस क़ानून से कोई बदलाव नहीं आने वाला है

कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा ने कहा मैं तो उस राजनीति का भक्त हूँ जो परिवर्तन की बात करता है वोट की नहीं, मुझे तो हंसी आती है वक्फ़ संशोधन बिल को लेकर, भाजपा ने जैसे और जुमले दिए ये भी एक जुमला ही होगा, किसी मुसलमान के जीवन मन कोई बदलाव नहीं आयेगा

Waqf Amendment Bill: वक्फ़ संशोधन बिल के लोकसभा और राज्यसभा में पास होने के बाद इसपर देश में तीखी प्रतिक्रिया सामने आ रही है कांग्रेस सहित इंडिया ब्लाक की अधिकांश पार्टियाँ और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM इसका विरोध कर ही है, कांग्रेस और ओवैसी इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट भी चले गए हैं, लेकिन कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा ने बड़े ही सधे अंदाज में इसपर टिप्पणी की है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा आज भोपाल पहुंचे जहाँ कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद फेंस क्लब ने उनका जोरदार स्वागत किया और उन्हें सम्मानित किया, कांग्रेस सांसद ने कहा आप सभी से मिल कर प्रसन्नता का अनुभव हुआ।

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जब बिल पर बोल रहे थे मुझे हंसी आ रही थी : विवेक तन्खा 

इस अवसर पर मौजूद मीडिया से विवेक तन्खा ने कई मुद्दों पर बात की , इस समय सबसे चर्चित विषय वक्फ़ संशोधन बिल के सवाल पर उन्होंने कहा मैं उस डिबेट में मौजूद था मैं सच कह रहा हूँ जब मंत्री इस बिल पर बोल रहे थे तो मुझे आश्चर्य हो रहा था, मुझे हंसी आ रही थी, वे गरीब मुसलमानों की, महिलाओं की, उनके बच्चों की बात कर रहे थे जैसे इस बिल से सबकी स्थिति अच्छी हो जाएगी, मेरे हिसाब से किसी की स्थित नहीं बदलेगी, इस कानून से कोई बदलाव नहीं आयेगा।

आपकी सोच राजनीतिक है तो सामाजिक परिवर्तन कैसे आयेगा ?

उन्होंने सवाल किया  क्या कश्मीर से 370 हट गया तो क्या वहां के लोगों के जीवन में कोई बदलाव दिख रहा है? कांग्रेस सांसद ने कहा, कानून से परिवर्तन नहीं आता, परिवर्तन भाव से आता है, सोच से आता है,  आपको लोगों के बारे में सोचना पड़ता आपकी सोच यदि राजनीतिक है तो सामाजिक परिवर्तन कैसे आएगा? आपको वोट के लिए परिवर्तन करना है तो कैसे समाज में परिवर्तन आयेगा?


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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