भोपाल।
मध्यप्रदेश (MadhyaPradesh) में कोरोना (Corona) से बचने के लिए होम्योपैथिक (homeopathic) एक नई आशा की किरण बनकर सामने आई है। आज इस पद्धति से सही होकर छह मरीज (Patient) अपने घर गए हैं ।’कुछ ऐसा ही Tweet भोपाल (bhopal) के कलेक्टर (Collector) तरुण पिथोङे (Tarun Pithode) ने सोमवार को अपने ऑफिशियल ट्विटर अकाउंट से किया। अचानक लगा मानो भोपाल अब पूरे विश्व में जाने जाना वाला है ।कोरोना का इलाज मिल गया है और अब यह बीमारी असाध्य नहीं रहेगी जिससे पूरा विश्व बर्बादी के कगार पर पहुंच गया लेकिन यह क्या सुबह होते-होते कलेक्टर तरुण पिथोड़े के ऑफिशियल अकाउंट से यह ट्वीट डिलीट हो गया।इसके बाद जब पड़ताल की गई तो माजरा कुछ दूसरा ही नजर आया।
दरअसल भोपाल में खुशीलाल आयुर्वेदिक महाविद्यालय(Khushi Lal Ayurvedic College) के पास बने होम्योपैथिक महाविद्यालय में जिला प्रशासन ने कोविड-19 केयर सेंटर बनाया है जहां पर लगभग 45 ऐसे मरीजों को जिनमें कोरोना के लक्षण तो नहीं, लेकिन वे कोरोना पाजिटिव है ,को में रखा गया है ।14 मई को भर्ती किए गए ऐसे ही छह मरीजों को सोमवार को डिस्चार्ज कर दिया गया। हालांकि डिस्चार्ज करते समय आईसीएमआर (ICMR) की नई गाइडलाइन के अनुसार इनकी रिपोर्ट पॉजिटिव है या नेगेटिव इसकी जांच नहीं की गई। इस कोविड केयर सेन्टर की ईन्चार्ज डा.सुनीता तोमर का कहना है कि मरीजों को इस दौरान हल्का-फुल्का मनोरंजन ,योग और होम्योपैथिक की वह दवा दी गई जो आयुष मंत्रालय की गाइडलाइन के अनुसार कोरोना से बचाव के लिए घर-घर बांटी जा रही है। हालांकि मैडम यह नहीं बता पाए कि इस ड्रग ट्रायल के लिए क्या विधिवत अनुमति ली गई थी? इस पूरे मामले में सबसे रोचक बात यह है कि कोरोना के बिना लक्षण के मरीज अपने आप ठीक हो जाते हैं, यह बात बच्चा भी जानता है तो ऐसे में फिर भला होम्योपैथिक दवा कैसे रामबाण बन गई और कलेक्टर जैसे गंभीर पद पर बैठे एक अधिकारी ने यह ट्वीट कैसे कर दिया ।यह समझ से परे है।