कोरोना काल में सबसे ज्यादा मार प्रदेश के अन्नदाताओं पर पड़ी है। सबका पेट भरने वाले ये किसान खुद अपना पेट भरने की स्थिति में नहीं रह गए हैं। कोरोना महामारी के कारण इस साल गेहूं खरीदी केंद्रों पर खरीदी का काम देर शुरू हुआ और अब इसी देरी का खामियाजा भी प्रदेश के किसान भुगतेंगें। दरअसल प्रदेश में “निसर्ग” तूफान के कारण भारी बारिश के आसार बन गए हैं और मौसम विज्ञानियों ने बुधवार-गुरुवार को अधिकांश स्थानों पर तेज हवा के साथ भारी वर्षा की चेतावनी जारी की है। लेकिन सरकार ने मंडियों में पहुंच रहे अनाज को इस बारिश से बचाने के लिए कोई इंतजाम नहीं किए हैं।
प्रदेश में किसान लगातार मंडियों में अनाज लेकर पहुंच रहे हैं लेकिन मौसम का मिजाज और सरकार दोनों ही किसानों का साथ देने को तैयार नही हैं। जून के मध्य तक प्रदेश में मॉनसून दस्तक दे देता है, लेकिन इस बार चक्रवाती तूफान के कारण बारिश जून के शुरूआत में होने की संभावना बन रही है। ऐसे में अब तक गेहूं खरीदी का काम चल रहा है और अगर बारिश होती है तो मंडियों में रखा गेंहूं पूरी तरह भीगकर खराब हो जाएगा। क्योंकि शासन और प्रशासन ने उस गेंहूं को सुरक्षित तरीके से रखने के कोई इंतजाम नही किए हैं। अब ऐसे में जो गेहूं मंडियों में रखा है वो तो भीग कर खराब होगा ही, लेकिन जो गेहूं लेकर किसान मंडी पहुंच रहे हैं, भीगने के बाद उसे भी व्यापारी नही खरीदेंगें। मंडी पहुंच रहे किसानों का कहना है कि हर बार किसान ही परेशान होता है और सरकार ने कभी उनके लिए कुछ नही कियाय़
आंकड़े
अब तक प्रदेश में खरीदा गया 125 लाख मिट्रिक टन गेहूं
35 लाख मिट्रिक टन गेहूं पड़ा है खुले में
बारिश होने से 600 करोड रूपए का गेहूं हो सकता है खराब
सरकार का दावा कि 90 फीसदी गेहूं का किया गया सुरक्षित परिवहन
प्रदेश में 16 अप्रैल से शुरू हुई थी गेहूं खरीदी
खुले में गेहूं पड़े होने के बाद अब एक बार फिर किसानों की परेशानी पर सियासत शुरू हो गई है। सरकार का कहना है कि उन्होने निसर्ग तूफान और प्री-मानसून से गेहूं खराब ना हो उसके लिए पहले ही कलक्टेरों को आदेश दे दिए थे ताकि गेहूं समय पर वेयर हाउस पहुंच जाए। वहीं कांग्रेस का कहना है कि प्रदेश में निसर्ग तूफान के कारण बारिश होने की संभावना है, ऐसे में खुले में पड़ा गेहूं खराब हो जाएगा। सरकार को ऐसे में अनाज के ट्रांसपोर्टेशन का काम तुरंत करना चाहिए।
मंडियों मे खुले पड़े गेहूं ने सरकार के सभी दावों को खोखला साबित कर दिया है। सरकार भले ही दावा करे की गेहूं का परिवहन हो रहा है लेकिन जब मंडियों में देखते हैं तो नजारा कुछ अलग ही नजर आता है। इन सारी बदइंतजामियों से एक बात तो साबित हो गई है कि सरकार की लापरवाही का खामियाजा एक बार फिर प्रदेश के किसान को भुगतना पड़ेगा।