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Fri, Dec 19, 2025

सरकार ने तय की गेहूं के स्टॉक की सीमा, अधिकतम 3 हजार मीट्रिक टन रख सकते हैं थोक व्यापारी, रिटेलर के लिए भी निर्देश

Written by:Atul Saxena
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मध्य प्रदेश सरकार ने गेहूं की खरीद के लिए बनाये गये उपार्जन केंद्रों पर किसानों के लिए सभी तरह की सुविधाएँ मुहैया कराई थी, 5 मई तक खरीद की अंतिम तारीख थी लेकिन किसानों की मांग पर उसके बाद इसे 9 मई तक बढ़ाया गया जिसका लाभ किसानों और सरकार दोनों को मिला । 
सरकार ने तय की गेहूं के स्टॉक की सीमा, अधिकतम 3 हजार मीट्रिक टन रख सकते हैं थोक व्यापारी, रिटेलर के लिए भी निर्देश

मध्य प्रदेश में इस बार गेहूं की शानदार पैदावार हुई है, सरकार ने भी गेहूं पर 175 रुपये के बोनस के साथ 2600 रुपये MSP पर खरीद की, नतीजा ये हुआ कि किसान भी खुश हो गए और सरकार के भंडार भी फुल हो गए, इस साल सरकार ने पिछले साल की तुलना में 29 लाख मीट्रिक टन अधिक गेहूं ख़रीदा, अब सरकार ने व्यापारियों के लिए गेहूं के भण्डारण यानि स्टॉक की सीमा तय कर दी है।

मध्य प्रदेश के खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने बताया है कि भारत सरकार द्वारा व्यापारियों के लिए 31 मार्च, 2026 तक के लिये गेहूं के स्टॉक की सीमा निर्धारित कर दी गयी है। निर्धारित की गई सीमा के मुताबिक  व्यापारी/थोक विक्रेता 3 हजार मीट्रिक टन तक और रिटेलर 10 मीट्रिक टन तक गेहूं का भण्डारण कर सकते हैं।

केंद्र सरकार ने तय की स्टॉक की सीमा 

इसी तरह चेन रिटेलर के प्रत्येक आउटलेट के लिये 10 मीट्रिक टन की सीमा इस आधार पर निर्धारित की गई है कि सभी आउटलेट पर अधिकतम मात्रा आउटलेटों की कुल संख्या के 10 गुना मीट्रिक टन से अधिक भण्डारित नहीं होना चाहिये। प्रोसेसर के लिये स्टॉक की मात्रा उसकी मासिक स्थापित क्षमता के 70 प्रतिशत मात्रा को वर्ष 2025-26 के शेष महीनों से गुणा करने पर आने वाली मात्रा से अधिक नहीं होना चाहिये।

29 लाख मीट्रिक टन अधिक गेहूं की खरीद 

उल्लेखनीय है कि इस साल प्रदेश सरकार ने करीब 9 लाख किसानों से 77 लाख 74 हजार मीट्रिक टन गेहूं का उपार्जन किया जो पिछले साल की तुलना में 29 लाख मीट्रिक टन अधिक है, पिछले साल 48 लाख 38 हजार मीट्रिक टन गेहूं का उपार्जन हुआ था।

इस साल 2600 रुपये MSP पर मप्र सरकार ने खरीदा गेहूं

यहाँ बताना जरूरी है कि इस बार केंद्र सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2425 रुपये निर्धारित किया था लेकिन मध्य प्रदेश सरकार ने इस पर 175 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से बोनस दिया जिसके बाद गेहूं की खरीदी 2600 रुपये प्रति क्विंटल की दर से की गयी, परिणाम स्वरुप किसानों ने सरकार को गेहूं बेचा जिसका लाभ किसानों और सरकार दोनों को ही हुआ।