मध्यान्ह भोजन में किस जाति के लोग ज्यादा, मंत्री करा रहे पड़ताल

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भोपाल| मध्य प्रदेश में बीजेपी सरकार के 15 साल के काम काज कांग्रेस सरकार के निशाने पर है| कई योजनाओं, कई फैसलों को बदलने के बाद अब मध्यान्ह भोजन वितरण से जुड़े स्व सहायता समूहों में किन जातियों के लोगों को अधिक संख्या में शामिल किया गया है सरकार इसकी भी पड़ताल करा रही है| पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री कमलेश्वर पटेल की नोटसीट के आधार पर मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम परिषद ने प्रदेश के सभी जिला पंचायत सीइओ को पत्र लिखकर जानकारी मांगी है। 

मंत्री का मानना है कि पूर्व की सरकार के समय मध्यान्ह भोजन वितरण की व्यवस्था में जाति विशेष के लोगों को कार्य देकर भ्रष्टाचार किया गया है। मंत्री ने किस जाति पर निशाना साधा है, यह स्पष्ट नहीं है लेकिन उनके निर्देश के बाद प्रदेश भर से जानकारियां मंगाई जा रही हैं। वहीं इससे कई सवाल भी खड़े हो रहे हैं| मध्यान्ह भोजन का जाति से कोई सम्बन्ध नहीं होना चाहिए, क्यूंकि अगर इसकी पड़ताल की जा रही है तो आगे यह एक मुद्दा बन सकता है| माना जा रहा है कि यह मामला राजनीतिक मुद्दा बनेगा और विपक्ष इस पर सरकार को घेरने की रणनीति भी तैयार कर सकता है। मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम परिषद के राज्य समन्वयक जसवीर सिंह चौहान का पत्र जिला पंचायत सीइओ के पास पहुँच रहे हैं| जिसमें कहा गया है कि सभी स्व सहायता समूहों का परीक्षण किया जाए और रिपोर्ट भेजी जाए ताकि मंत्री को वस्तु स्थिति से अवगत कराया जा सके।  रीवा में जिला पंचायत सीइओ के नाम 7 मार्च को पत्र जारी किया गया है। जिसमें सप्ताह भर के भीतर रिपोर्ट मांगी गई है। इसके अनुसार 14 मार्च तक रिपोर्ट भेजी जानी थी लेकिन अब तक जिला पंचायत के मध्यान्ह भोजन शाखा द्वारा किसी तरह की कार्रवाई प्रारंभ नहीं की गई है। साथ ही पूरे मामले में अनभिज्ञता भी जाहिर की गई है। वहीं लोकसभा चुनाव के लिए आचार संहिता प्रभावी होने के चलते अधिकारी, कर्मचारी चुनाव की तैयारियों में व्यस्त हो गए हैं, इसलिए माना जा रहा है कि इसका जवाब समय पर नहीं भेज पाएंगे।


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