40 दिनों तक क्यों रखता है सिंधी समाज उपवास, जानें

Amit Sengar
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भोपाल, रवि नाथानी। सावन के महीने में सिंधी समाज (sindhi society) के अधिकतर घरों में महिलाएं, बच्चे – बूढ़े 40 दिनों तक उपवास रखकर अपने ईष्ट देव भगवान श्री झूलेलाल जी की पूजा अर्चना करते है। पर्व पर समाज के लोग भाई चारा बढ़ाने और पल्लव करते है, पल्लव का बढ़ा महत्व है, इसके पीछे मान्यता है कि इसके करने से देश में सुख समृद्धि और शांति एकता और सफलता के साथ अच्छी बारिश होती है और पापो का नाश होता है।

सिंध पाकिस्तान से यहां आने के बाद से सिंधी समाज इस पर्व को हर्षो उल्लास के साथ मनाता है। समाज की महिलाएं इस पर्व पर अपने पति के दीर्घायु की कामना भी करती है, साथ ही परिवार में जो तकलीफे है, वो तकलीफे दूर हो, सुख समृद्धि का वास हो साथ ही देश दुनिया में हमेशा खुशहाली बनी रहे इसके लिए 40 दिनों की कठिन तपस्या की जाति है। संत नगर की पूज्य सिंधी पंचायत के अध्यक्ष साबू रीझवानी बताते है, कि पिछले 34 साल से चालीहा साहब पर्व मनाया जाता है। इन्ही के नाम से ही मंदिर का निर्माण 1988 में किया गया है। चालीहा साहब प्रेम, एकता एवं भाईचारे का पर्व है, जहां वृतधारियों एवं श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूर्ण होती है। इस पर्व पर पल्लव का भी बड़ा महत्व रहता हैं। पलव में, देश में सुख, शांति, एकता के साथ अच्छी फसल तथा बारिश के दिनों में, कहीं बाढ़, बीमारी एवं दुर्घटना न हो, इसकी श्रद्धा से भगवान झूलेलाल के चरणों में प्रार्थना की जाती है। इस महान पर्व, चालीहा साहब को राष्ट्रीय , एकता के प्रतीक माना जाता है तथा युवा व बच्चों को संस्कारों के गुण प्राप्त होते है।

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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है। वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”