जबलपुर। मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव के दौरान हुए दल-बदल पर अब सियासत तेज हो गई है। कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का दामन थामने वाली बीना विधायक निर्मला सप्रे की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार की याचिका पर संज्ञान लेते हुए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने विधायक निर्मला सप्रे को नोटिस जारी किया है।
कोर्ट ने इस मामले में विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर और राज्य सरकार को भी नोटिस जारी कर 10 दिनों के भीतर जवाब तलब किया है। मामले की अगली सुनवाई के लिए 18 नवंबर की तारीख तय की गई है। इस याचिका में सप्रे के चुनाव को शून्य घोषित करने की मांग की गई है।
क्या है पूरा मामला?
निर्मला सप्रे ने 2023 के विधानसभा चुनाव में सागर जिले की बीना सीट से कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल की थी। हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा देकर मुख्यमंत्री मोहन यादव की मौजूदगी में बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। इस राजनीतिक घटनाक्रम के बाद से ही उनकी विधायकी पर सवाल उठ रहे थे।
स्पीकर के फैसले में देरी पर हाईकोर्ट पहुंचे सिंघार
विधायक निर्मला सप्रे के दल-बदल करने के बाद नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर के समक्ष एक याचिका दायर की थी। इस याचिका में उन्होंने दल-बदल कानून के तहत निर्मला सप्रे की विधानसभा सदस्यता समाप्त करने की मांग की थी।
याचिका में कहा गया कि विधानसभा अध्यक्ष द्वारा इस मामले पर कोई निर्णय नहीं लिया जा रहा है। स्पीकर की ओर से कार्रवाई में हो रही देरी को आधार बनाते हुए सिंघार ने न्याय के लिए जबलपुर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट में दायर याचिका में उन्होंने सप्रे के चुनाव को अयोग्य घोषित करने का अनुरोध किया है।
इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने मामले का संज्ञान लिया और सभी संबंधित पक्षों को नोटिस जारी कर दिया। अब सभी की निगाहें 18 नवंबर को होने वाली अगली सुनवाई पर टिकी हैं।
उमंग सिंघार के वकील जयदीप कौरव बोले
उमंग सिंगार के वकील जयदीप कौरव ने बताया की जून 2024 में नेता प्रतिपक्ष द्वारा डिफेक्शन पिटीशन दायर की गई थी। इस पिटीशन पर आज तक कोई फैसला नहीं लिया गया। आज मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने रिट पिटीशन पर सुनवाई करते हुए नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
जबलपुर से संदीप कुमार की रिपोर्ट





