मध्य प्रदेश (MP) को भारत का दिल कहा जाता है। यहां की संस्कृति, विरासत, सभ्यता, रहन-सहन, खानपान इसे बाकी सभी राज्यों से अलग बनाते हैं। यहां घूमने-फिरने के लिए एक से बढ़कर एक टूरिस्ट डेस्टिनेशन हैं, आलोक में पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है। धार्मिक स्थलों की भी कोई कमी नहीं है। कई सारी नदियां बहती हैं। इसके अलावा एक से बढ़कर एक विश्वविद्यालय, स्कूल और कॉलेजेस हैं, जो देशभर में नाम रोशन कर रहे हैं। इस राज्य में टैलेंट की कोई कमी नहीं है। चाहे फिल्मी जगत हो या फिर शिक्षा का क्षेत्र, चाहे बिजनेस का मामला हो या फिर सरकारी नौकरी का, युवा हर एक चीज में आगे हैं।
बात की जाए किसानों की, तो वे काफी मेहनत करते हैं और सभी सीजन में अलग-अलग फसलों की रोपाई और कटाई करते हैं।

एमपी में पाई जाने वाली मिट्टी
ऐसे में मिट्टी का अहम योगदान रहता है। भारत की बात करें तो यहां मुख्य रूप से कई लाल, जलोड़ और लेटराइट मिट्टी पाई जाती है। वहीं, मध्य प्रदेश में पाई जाने वाली मिट्टी कृषि क्षेत्र को मजबूत बनाती है और कहीं ना कहीं इससे अर्थव्यवस्था को काफी अधिक मजबूती मिलती है। इस राज्य में मिलने वाली मिट्टी खासतौर पर प्राचीन चट्टानों के अपक्षय, जलवायु या फिर ह्यूमन एक्टिविटी से प्रभावित होती है।
काली कपास मिट्टी
दरअसल, मध्य प्रदेश में मुख्य रूप से काली कपास मिट्टी पाई जाती है, जिसे रेगुर मिट्टी भी कहते हैं। इस मिट्टी में कपास, सोयाबीन, गेहूं, ज्वार जैसी फसलों को उगाया जाता है। यह ज्यादातर मध्य प्रदेश के मालवा पठार और नर्मदा घाटी वाले क्षेत्रों में मिलती है, जिसमें चिकनी मिट्टी की मात्रा बहुत अधिक होती है और उसकी बनावट भी चिकनी होती है।
क्यों होता है काला रंग?
काली मिट्टी के रंग की मुख्य वजह आयरन और एल्यूमीनियम ऑक्साइड है, जिस कारण इसका रंग गहरा काला होता है। काली मिट्टी के अलावा मध्य प्रदेश में जलोढ़, लाल, पीली और लेटराइट मिट्टी भी पाई जाती है, जो कि किसानों के लिए बेहद फायदेमंद मानी जाती है।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।)