ग्वालियर, अतुल सक्सेना। ग्वालियर (Gwalior) की देहात थाना पुलिस ने एक अंधे कत्ल (Blind Murder) का पर्दाफाश किया है। आरोपियों ने मृतक के शव को प्लास्टिक के बोरे में बांधकर उटीला में एक खेत के कुए में फेंक दिया था। पुलिस की तहकीकात में पता चला कि गांव के एक व्यक्ति को शक था कि मृतक के उसकी बहन से अवैध सम्बन्ध हैं इसलिए उसने अपने दोस्त और उसके भाइयों से साथ मिलकर हत्या कर दी। पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है जबकि दो आरोपी अभी फरार हैं।
पुलिस अधीक्षक ग्वालियर अमित सांघी (SP Amit Sanghi) ने पत्रकारों को जानकारी देते हुए बताया कि पिछले दिनों उटीला थाना क्षेत्र के एक खेत में एक कुए में मिले शव की पहचान के बाद उसकी हत्या की गुत्थी को उटीला पुलिस ने सुलझा लिया है। एसपी ने बताया कि उटीला थाने से दो किलोमीटर दूर एक खेत में बने कुए में 16 अगस्त को बोरे में बंद लाश मिली थी।
शव की जब जाँच पड़ताल की गई तो मृतक की जेब से उसका आधार कार्ड मिला जिससे उनकी पहचान शैलेन्द्र सिंह निवासी पहाड़ी गांव मुरैना के रूप में हुई। पुलिस ने जब तहकीकात शुरू की तो पता चला कि मृतक गुजरात में काम करता था उसे गांव के दो व्यक्तियों के साथ ग्वालियर आता देखा गया था। पुलिस ने इस आधार पर सख्य जुटाना शुरू किये और जब कड़ियाँ जोड़ी तो अंधे क़त्ल से पर्दा हट गया।
एसपी अमित सांघी ने बताया कि मृतक के साथ देखे गए दोनों युवको को जब पकड़ा गया तो एक ने बताया कि उसे शक था कि मृतक के उसकी बहन के साथ अवैध सम्बन्ध थे, इसलिए उसने अपने दोस्त और उसके भाइयों की मदद से हत्या कर दी। उसने बताया कि 13 अगस्त को उन लोगों ने खेत में बैठकर शराब पी फिर झगड़े के दौरान पत्थर से कुचलकर उसकी हत्या कर दी। पुलिस के मुताबिक हत्या करने के बाद ये लोग वापस आये और उन्होंने मृतक बंधे , शव को बोरे में पैक किया और कुए में फेंक गए। लेकिन जब दुर्गन्ध फैली तो मामला पुलिस तक पहुंचा और अंधे क़त्ल से पर्दा हट गया। एसपी ने बताया कि घटना में शामिल तीन आरोपी गिरफ्तार कर लिए गए हैं दो गिरफ्तार होना शेष हैं।
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Atul Saxena
पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....
पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....