बुरहानपुर, शेख रईस । भारत के संविधान में पंचायती राज व्यवस्था इसलिए की गई है कि ग्राम का विकास हो और गांव की समस्या गांव में ही सुलझा ली जाए, वह भी वहां के स्थानीय प्रशासकों के द्वारा। लेकिन पंचायती राज में लोगों का शोषण किया जाना नई बात नहीं है। काम करने के एवज में रिश्वतखोरी का पुराना किस्सा एक बार फिर मध्यप्रदेश के सीमावर्ती जिले बुरहानपुर में दोहराया गया।
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लेकिन यहां मामला कुछ अलग ही है। मामला बुरहानपुर जिले के जनपद पंचायत खकनार की ग्राम पंचायत जामनिया के ध्यानसिंह फलिया का है। ग्रामीणों ने सरपंच पर कार्य न करने और काम करने के एवज में मुर्गा मांगने का आरोप लगाया है। ग्रामीणों ने सरपंच पर आरोप लगाते हुए कहा कि, किसी भी काम का सरपंच को बोलते है तो हमसे पहले मुर्गा मांगा जाता है, मुर्गा खिलाने के बाद भी ग्रामीणों का काम कर दिया जाए इसकी कोई गारंटी नहीं है।
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ग्रामीणों के अनुसार प्रधानमंत्री आवास के लिए 3 वर्षों से सरपंच सचिव के पास जा रहे है, पर ना संतोषजनक जवाब दिया जा रहा है और ना ही काम किया जा रहा है। हमारी क़िस्त पूरी डल रही है पर प्रधानमंत्री आवास आधा अधूरा बना हुआ है। ग्रामीणों को गुजारिश है कि जनपद पंचायत से सीईओ खुद सरपंच की गतिविधियों को देखते हुए हमारे कामों को आगे बढ़ाएं।
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गांव वालों ने यहां तक भी कहा है की इस तरह के शोषण खोरी के खिलाफ हम लगातार शिकायत कर रहे हैं, लेकिन फिलहाल हमारी समस्याओं का निदान नहीं किया गया है।