अब केंद्र सरकार ने इसकी स्क्रैप नीलामी की प्रक्रिया शुरू की, जिसका कर्मचारी संगठनों ने विरोध किया। उनकी मांग है कि जब तक उन्हें अपना बकाया वेतन नहीं मिल जाता, तब तक इस संपत्ति की नीलामी न होने दी जाए।सीसीआई का यह प्लांट 1980 में स्थापित किया गया था। उस समय नीमच क्षेत्र की खदानों से निकलने वाले लाइमस्टोन को एशिया में सर्वश्रेष्ठ गुणवत्ता वाला माना जाता था, जो अपनी मजबूती के लिए प्रसिद्ध था।
मजबूत बुनियादी ढांचे और कुशल श्रमिकों की वजह से यह प्लांट वर्षों तक उत्पादन करता रहा और बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार भी प्रदान करता रहा। लेकिन 90 के दशक में प्रबंधन और प्रशासन की लापरवाही की वजह से इस प्लांट की हालत बिगड़ने लगी। बिजली का बकाया लगभग 9 करोड़ रुपए तक पहुंच गया और सरकार की अनदेखी के कारण यह प्लांट बंद हो गया।

श्रमिकों को मिली राहत, लेकिन संघर्ष अभी भी जारी
इस फैक्ट्री में काम करने वाले करीब 5000 सभी बेरोजगार हो गए, जिनमें से कई कर्मचारी अपने हक के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इस प्लांट के बंद होने के बाद कर्मचारियों को उनके बकाया वेतन और अन्य लाभों के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी। श्रमिकों ने कई बार अदालत और श्रम विभाग के दरवाजे खटखटाए। अदालत ने श्रम विभाग और कर्मचारियों के पक्ष में निर्णय दिया और आदेश दिया कि कर्मचारियों की 17.51 करोड़ की बकाया राशि का भुगतान प्लांट की कुर्की से किया जाए।
श्रमिकों के चेहरे पर खुशी देखने को मिली
प्रशासन द्वारा नीलामी पर रोक लगाने की खबर मिलते ही श्रमिकों के चेहरे पर खुशी देखने को मिली। उनका कहना है कि वर्षों के संघर्ष के बाद अब जाकर न्याय की उम्मीद जगी है। हालांकि, यह संघर्ष अभी खत्म नहीं हुआ है। श्रमिक संगठनों का कहना है कि जब तक बकाया भुगतान नहीं होता, तब तक वे अपनी लड़ाई जारी रखेंगे।