Chhatarpur News: मध्य प्रदेश के पन्ना जिले से एक बड़ी खबर सामने आई है। जहां टाइगर रिजर्व प्रबंधन द्वारा बड़ी चूक हुई है। दरअसल, पन्ना टाइगर रिजर्व में खजाने की खोज में आधा दर्जन लोग पहुंच गए थे। जिसे प्रबंधन की बड़ी चूक मानी जा रही है। वहीं खजाने की खोज का मास्टरमाइंड बड़ा मलहरा की पूर्व विधायक रेखा यादव के भाई शैलेंद्र यादव हैं, जोकि चार पहिए वाहन से गुजरात से आए तांत्रिक रामभाई के साथ पहुंचे थे। बता दें 6 लोगों पर मुकदमा दर्ज कर लिया गया हैं और आगे की जांच चल रही है।
बाघों की सुरक्षा में बड़ी चूक
अंदाजा यह भी लगाया जा रहा है कि मडला के बफर क्षेत्र पांडव फाल से 5 किमी. अंदर कोर जगह आरोपी पहुंचे थे। जिस क्षेत्र में आरोपियों को पकड़ा गया है वहां लगभग 20 वयस्क बाघ विचरण कर रहे थे। बता दें यहां पहुंचना सरल नहीं था। यह भी उम्मीद जताई जा रही है कि पार्क प्रबंधन का कोई सदस्य खजाना ढूढ़ने वाले आरोपियों के साथ था। वहीं कोर क्षेत्र में मेटल डिटेक्टरों के साथ 6 लोगों का पहुंचना बाघों की सुरक्षा मैं बड़ी चूक है।
आरोपियों को मुचलके पर छोड़ा गया
वन विभाग की टीम ने खजाना ढूढ़ रहे आरोपियों को घेर कर पकड़ लिया था। जिन पर 5 हजार का जुर्माना लगाकर मुचलके पर छोड़ दिया गया था। वहीं इस दौरान बड़ा मलहरा पूर्व बिद्यायक रेखा यादव के भाई शैलेन्द्र यादव, टीकमगढ़ तहसीलदार के रीडर हरगोविंद सोनी, छत्तरपुर के पुष्पेंद्र गुप्ता और मुन्ना लाल शर्मा, गुजरात के राम भाई कोर और पंन्ना के मूरत यादव अपनी बाइक सहित सभी लोग मेटल डिटेक्टर के साथ कोर क्षेत्र में पकड़े गए थे। वहीं इस पूरी कार्यवाही को वन विभाग ने गोपनीय रखा पुलिस को भी जानकारी नहीं दी। वहीं जब तक मीडिया में मामला आता और पुलिस को आवेदन दिया गया तब तक आरोपियों को मुचलके पर छोड़ दिया गया था।
टाइगर रिजर्व प्रबंधन पर सवालिया निशान
सूत्रों के हिसाब से ये जानकारी मिली है कि टीकमगढ़ तहसीलदार के रीडर हरगोविंद सोनी पहले से ही खजाने दफीना की खोज के लिए जाने जाते हैं। इनके पास बड़ी-बड़ी मशीने और खजाने के खोजने के यंत्र हैं। हालांकि प्रबंधन द्वारा एक दिन बाद पुलिस को सूचना देना भी टाइगर रिजर्व प्रबंधन पर सवाल खड़ा करता है।
विशेषज्ञ ने कही यह बात
जब हमने इस बारे में वाइल्ड लाइफ विशेषज्ञ मधुकर नाथ चतुर्वेदी से बात की तब उनके द्वारा हमें बताया गया कि यह एक गैर ज़मानती अपराध है। इतना ही नहीं चतुर्वेदी ने हमें यह भी बताया कि वन विभाग इस मामले में अपराध के अलावा किसी भी तरीके का मामला दर्ज नहीं कर सकता है। अपराधी को हिरासत में लेकर उसे कोर्ट के सामने पेश करना ही विभाग की एक मात्र ज़िम्मेदारी थी जो वह पूरा नहीं कर सका। चतुर्वेदी ने इस घटना को वन्य प्राणियों के लिए भी बेहद खतरनाक बताया। उन्होंने कहा कि यदि इस तरह की बात कि कोर एरिया में यह लोग सोना खोजने गए थे आम इंसान के कानों तक पहुंचेगी तो यह निश्चित तौर पर वन प्राणियों और वन संपदा के लिए बेहद गंभीर खतरा बन सकती है। चतुर्वेदी ने कहा यह बेहद ही गंभीर मामला है और इसकी तरीके से जांच होना चाहिए और दोषियों के ऊपर सख्त से सख्त कार्यवाही होनी चाहिए। इतना ही नहीं इसमें विभाग के अधिकारी कर्मचारी के संलिप्त होने न होने की भी जांच की जानी चाहिए।
छतरपुर से सुबोध त्रिपाठी की रिपोर्ट