जमीन का नामान्तरण करने पटवारी ने ली रिश्वत, लोकायुक्त पुलिस ने रंगे हाथ दबोचा

शिकायतकर्ता ने नाना की मृत्यु के बाद उनकी जमीन का नामांतरण अपने नाम पर करवाने के लिए छतरपुर तहसील में आवेदन दिया था लेकिन पटवारी ने कहा जबतक रिश्वत नहीं दोगे काम नहीं होगा।

भ्रष्ट अधिकारियों कर्मचारियों के विरुद्ध लोकायुक्त पुलिस लगातार कार्रवाई कर रही है, घूस लेते हुए रंगे हाथ पकड रही है बावजूद इसके वे रिश्वत लेने से बाज नहीं आ रहे, लोकायुक्त पुलिस सागर की टीम ने आज एक बार फिर एक भ्रष्ट शासकीय सेवक को रंगे हाथ पकड़ा है।

लोकायुक्त पुलिस एसपी सागर योगेश्वर शर्मा से मिली जानकारी के मुताबिक छतरपुर जिले की छतरपुर तहसील के ग्राम देवरिया निवासी पुष्पेंद्र अहिरवार ने एक शिकायती आवेदन उनके कार्यालय में पिछले दिनों दिया था, आवेदन में पटवारी हल्का नंबर – 29 गहरवार, तहसील छतरपुर के पटवारी श्यामलाल अहिरवार पर रिश्वत मांगने के आरोप लगाये थे।

पटवारी बोला रिश्वत दो तब होगा नामांतरण 

आवेदक ने बताया कि उसके नाना की मृत्यु 2024 में हो गई थी, उनकी जमीन का नामांतरण करवाने के लिए उसने तहसील में आवेदन दिया था, लेकिन पटवारी  श्यामलाल अहिरवार ने नामांतरण करने के बदले 4 हजार रुपये रिश्वत की मांग की और कहा कि बिना रिश्वत दिए नामांतरण नहीं होगा ।

1 हजार रुपये ले लिये 4 हजार की और मांग की  

आवेदक पुष्पेंद्र अहिरवार की शिकायत का सत्यापन सागर लोकायुक्त पुलिस टीम ने किया जिसमें आरोपी पटवारी ने 1  हजार रुपये आवेदक से ले लिए और 4 हजार रुपये रिश्वत मांग की गई , रिश्वत मांगे जाने की पुष्टि होने पर ट्रैप की प्लानिंग की गई और आज टीम को रवाना किया गया ।

रिश्वत की राशि हाथ में आई, पटवारी को दबोचा 

लोकायुक्त सागर पुलिस की टीम आवेदक आवेदक पुष्पेंद्र अहिरवार के साथ आरोपी पटवारी श्यामलाल अहिरवार  द्वारा बताये गए स्थान उसके निजी मकान देरी रोड, कृष्णा कॉलोनी, छतरपुर पहुंची, टीम दूर खड़ी हो गई और आवेदक को पटवारी के पास भेजा , शिकायतकर्ता ने रिश्वत की राशि 4 हजार रुपये पटवारी को दिए और इशारा दे दिया , इशारा मिलते ही लोकायुक्त की टीम ने पटवारी को उसके घर पर रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ लिया।

जमीन का नामान्तरण करने पटवारी ने ली रिश्वत, लोकायुक्त पुलिस ने रंगे हाथ दबोचा


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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