छतरपुर,संजय अवस्थी। फर्जी सीबीआई अधिकारी बनकर लूट करने वाला गिरोह नौगांव पुलिस के हत्थे चढ़ा है, लखनऊ सीबीआई दफ्तर में खुद के बतौर एएसपी के रूप में काम करने की बात कहकर अपने साथ अन्य पांच लोगों को लेकर आए फर्जी अधिकारी ने नौगांव डिसलरी मालिक से दो लाख रूपए लूट लिए और अपने साथ डीवीआर भी साथ ले गया ,ताकि सीसीटीव्ही फुटेज न मिल सके। नौगांव पुलिस ने डायरेक्टर की शिकायत पर 6 अज्ञात लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 395, 419, 420, 170 के तहत मुकदमा कायम किया है। सूत्र बताते हैं कि फर्जी अधिकारी को पुलिस ने दबोच लिया है। संभावना है कि रविवार को इस पूरे मामले का खुलासा होगा।
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नौगांव में संचालित जैकपिन वैवरिज लिमिटेड डिसलरी के डायरेक्टर निखिल बंसल पुत्र जगदीशचन्द्र बंसल ने नौगांव थाने में विगत रोज शिकायत दी कि शुक्रवार सुबह करीब 8 बजे फैक्ट्री के गेट में मौजूद सिक्योरिटी सुपरवाईजर रामसहाय ने उन्हें सूचना दी कि लखनऊ से पुलिस व सीबीआई के अधिकारी आए हैं। सुपरवाईजर से अधिकारियों को बैठाने के लिए कहा गया। सिक्योरिटी गार्ड संतोष चाबी लेने बंगले जा रहा था तभी उसके पीछे ही 5-6 संदिग्ध व्यक्ति चले आ रहे थे जिनमें से दो व्यक्ति पुलिस की वर्दी में थे उनमें से एक पिस्टल लगाए था और एक साधारण कपड़े पहने पिस्टल लगाए था। उक्त लोगों ने डायरेक्टर व मैनेजर राजीव मित्तल को रोक लिया और अलीगढ़ में गत वर्ष जहरीली शराब काण्ड की जांच के बारे में भेजे गए सम्मन की चर्चा की लेकिन डायरेक्टर ने इन सब बातों ने इंकार किया तो उनमें से एक ने खुद को लखनऊ सीबीआई में एडीशनल एसपी के पद पर पदस्थ होने की बात कहकर मामला सुलझाने के बदले पैसों की बात की लेकिन डायरेक्टर श्री बंसल ने अपने वकील को बुलाने को कहा तो उन्होंने किसी को बुलाने नही दिया। खुद को सीबीआई का एएसपी बताने वाले व्यक्ति ने डायरेक्टर और मैनेजर के सीने में पिस्टल अड़ा दी और दराज में रखे दो लाख रूपए ले लिए और कैमरों की रिकार्डिंग वाला डीवीआर भी निकाल लिया। शिकायत कर पुलिस ने अज्ञात लोगों पर मुकदमा कायम किया है।
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डिसलरी के डायरेक्टर निखिल बंसल ने पुलिस को बताया कि गत 25 जुलाई को कुछ लोग उनके बारे में जानकारी लेने डिसलरी के बाहर मौजूद गार्ड के पास आए थे। गार्ड ने इस बारे में श्री बंसल को बताया भी था मगर उन्होंने इसे सामान्य बात मानकर नजर अंदाज कर दिया था। डायरेक्टर श्री बंसल का कहना है कि चूंकि उप्र में उसकी शराब बिक्री के लिए नहीं गई इसलिए जहरीली शराब से उनका कोई ताल्लुकात नहीं है। हथियारों की नोक पर उन्हें लूटा गया है। न तो किसी से बात करने का मौका मिला और न ही वे किसी को बुला सके। चूंकि लुटेरे आधा दर्जन थे इसलिए उन्होंने दोनों को अपनी आगोश में ले लिया था और लखनऊ ले जाकर कार्यालय में पूछताछ करने की धमकी देते हुए डायरेक्टर और मैनेजर पर दबाव बनाया था।