छिंदवाड़ा जिले के पांढुर्णा में गोटमार के दौरान आक्रोशि लोगों ने पुलिस पर पथराव कर दिया। इस कारण दो जगहों से पुलिस टीम को हटाया गया। दरअसल वज्र वाहन से जब कुछ दुकानों को नुकसान हो गया तो लोगों का गुस्सा भड़क उठा और उन्होने पुलिस पत्थरों के खेल में पुलिस कर्मचारियों को अपना निशाना बना लिया। पुलिस टीम पर हुए पथराव के बाद दो जगह से पुलिस टीम को हटाना पड़ा।
बता दें कि कोरोना के कारण इस बार प्रशासन ने गोटमार पर रोक लगाई है, लेकिन लोग इस प्रतिबंध को मानने को तैयार नहीं। मध्य प्रदेश (Madhy Pradesh) के छिंदवाड़ा (Chindwada) जिला मुख्यालय से लगभग 90 किलोमीटर दूर पांढुर्ना में हर साल विश्वप्रसिद्ध गोलामार मेला (Gotmaar Mela) आयोजित होता है, जो इस बार स्थगित कर दिया गया। कोरोना के चलते इस बार मेला सांकेतिक रूप से मनाए जाने का फैसला लिया गया। यह फैसला कलेक्टर ने स्थानीय नागरिकों के साथ बैठक कर लिया था। गोटमार मेले में खिलाड़ी एक दूसरे पर पथराव करते हैं जिसमें हर साल कई लोग घायल भी होते है।
इसी गोटमार के दौरान लोगो का आक्रोश उस समय भड़क गया जब गुजरी चौक में वज्र वाहन से कुछ दुकानें टूट गई। भड़के लोगो ने पुलिस पर जमकर पथराव कर दिया। इतना ही नहीं, पुलिस पर पथराव कर उन्हें भगाने के साथ पुलिस के बेरिकेट्स भी तोड़ डाले। लोगो का आक्रोश देख पुलिस को गुजरी चौक के वाचनालय और सामुदायिक भवन से भागना पड़ा और सभी पुलिसकर्मी राम धक्के पर नजरें टिकाए बैठे रहे। वहीं लोग खुलेआम एक दूसरे पर पत्थर फेंक गोटमार खेलते रहे।
गोटगार खेल की पंरपरा 300 वर्ष पुरानी मानी जाती है। इस दिन लोग एक दूसरे पर पत्थर बरसाते हैं, जिसके कारण इसे ‘गोटमार’ कहा जाता है। गोटमार मेले की शुरुआत 17वीं सदी से मानी जाती है। महाराष्ट्र की सीमा से लगे पांर्ढुना हर वर्ष भादौ मास के कृष्ण पक्ष में अमावस्या पोला त्योहार के दूसरे दिन पांर्ढुना और सावरगांव के बीच बहने वाली जाम नदी में वृक्ष की स्थापना कर पूजा अर्चना की जाती है। नदी के दोनों ओर लोग एकत्र होते हैं और सूर्योदय से सूर्यास्त तक पत्थर मारकर एक-दूसरे को लहूलुहान कर देते हैं। इसमें अबतक कई लोगों की मौत भी हो चुकी है, लेकिन इस कोरोना को देखते हुए इस मेले को स्थगित कर दिया गया था।