छिंदवाड़ा, विनय जोशी। छिंदवाड़ा में 1628 टन मक्के में कीड़े लग चुके हैं जो जानवरों को खिलाने लायक भी नहीं बचा। 5 साल पहले तीन करोड़ में 1628 टन खरीदा गया था, लेकिन इसमें पड़े-पड़े इल्लियां लग गई और अब ये अनाज पशुओं को भी खिलाने लायक नहीं बचा है।
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समर्थन मूल्य पर खरीदा गया करोड़ों रुपए का मक्का लापरवाही की भेंट चढ़ गया। छिंदवाड़ा के वेयर हाउस में 1628 टन मक्का पिछले 5 साल में पड़े-पड़े सड़ गया। इसकी कीमत करीब सवा तीन करोड़ रुपए बताई जा रही है। इस संबंध में कई बार अफसरों को अवगत कराया गया, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। अब मक्के की बोरियों में इल्लियां लग गई हैं। हालत ये है कि अब ये इंसान तो दूर पशुओं के भी खाने लायक नहीं बचा।
नागरिक खाद्य आपूर्ति एनपी त्रिपाठी ने बताया कि 2016-17 में मक्के की खरीदी की गई थी। इसे नागरिक वेयर हाउस में रखा गया था। अब भारतीय खाद्य निगम इसका निरीक्षण करेगा। इसके बाद ही निर्णय लिया जाएगा, यह अनाज वितरित किया जाएगा या पशुओं का आहार बनेगा। सरकार ने 2016-17 में 22 लाख क्विंटल मक्का 1365 रुपए प्रति क्विंटल दर से खरीदा था। इसमें से 1600 टन मक्का आवंटन के बाद बचा हुआ है। नागरिक खाद्य आपूर्ति अधिकारी का कहना है कि मक्का का रख-रखाव सिर्फ चार माह तक किया जा सकता है।
वहीं वेयर हाउस कॉर्पोरेशन के अधिकारी विजय अंबेडकर का कहना है कि उन्होंने कई बार भोपाल के अधिकारियों को अवगत कराया, लेकिन किसी ने भी मक्के को स्थानांतरित करने के लिए कदम नहीं उठाए। इसके लिए किसानों को करीब सवा तीन करोड़ रुपए भुगतान भी किया गया था। इसके बाद यहां भंडारित मक्के को न तो कहीं भेजा गया और न ही इसके वितरण की व्यवस्था बनाई गई। नतीजा, मक्का पूरी तरह खराब हो गया।