छिंदवाड़ा, विनय जोशी। छिंदवाड़ा में जितेंद्र शाह की टिकट फाइनल होने के बाद एन वक्त पर काफी कशमकश के बाद नगर निगम के सहायक आयुक्त अनंत धुर्वे को भाजपा ने मेयर पद के लिए अधिकृत उम्मीदवार घोषित कर दिया है। मंगलवार दोपहर को प्रदेश कार्यालय से जारी हुई अधिकृत सूची के बाद अंनत के नाम पर मुहर लग गई है।
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गौर किया जाए तो 1 दिन पहले जितेंद्र शाह को भाजपा संगठन के द्वारा हरी झंडी दे दी गई थी लेकिन भाजपा जिला अध्यक्ष ने जितेंद्र शाह के नाम पर असहमति जताते हुए भोपाल में जाकर लॉबिंग की थी संगठन के नेताओं से चर्चा के बाद पूर्व मंत्री चौधरी चंद्रभान सिंह से सहमति के आधार पर आखिरकार संगठन ने अनंत का नाम फाइनल कर दिया।
गौरतलब हो कि अनंत धुर्वे वर्तमान में नगर निगम में सहायक आयुक्त है और भी डेढ़ साल बाद रिटायर होने वाले हैं आदिवासी वोट बैंक में पकड़ और नगर निगम के कर्मचारियों से सीधे संवाद का फायदा भाजपा को मिल सकता है ऐसे तमाम बातों को लेकर भाजपा संगठन ने उन पर भरोसा जताया है।
असिस्टेंट कमिश्नर अंनत धुर्वे छिंदवाड़ा के ही रहने बाले है उनके पिता नगर पालिका छिंदवाड़ा में कार्यरत थे उनकी मृत्यु के बाद उन्हें अनुकंपा नियुक्ति छिंदवाड़ा में मिली जब से लेकर वे छिंदवाड़ा में ही रहे उनके परिवार में चार बेटी और एक पुत्र एवं पत्नी है उन्हें भजन मंडली में गाने का शौक़ है वे खाली समय मे भजन गाते है कुछ दिनों के लिए वे सौसर नगर पालिका में भी रहे बतौर सी एम ओ पद पर उन्हें भजन के अलाबा कोई भी शौक नही है उनकी कार्यप्रणाली अच्छी होने के कारण वे छिंदवाड़ा में ही पूरी नोकरी कर ली वे मिलन सार धार्मिक अपने कार्य के प्रति समर्पित समाज मे स्वस्छ छवि के होने के कारण भाजपा ने अपना प्रत्यासी बनाया है।
अंतू धुर्वे: दलित आदिवासी कर्मियों के शोषक
नगर निगम छिंदवाड़ा के सहायक कमिश्नर अंतू धुर्वे को भाजपा ने महापौर प्रत्याशी बनाया है।
अंतू धुर्वे के बारे में इतना जान लेना ही पर्याप्त होगा कि उन्होंने नगर निगम के अधिकारी रहते हुए किसके लिए काम किया?
अंतू धुर्वे नगर निगम अधिकारी कर्मचारी संघ के नेता हैं, इन्होंने नगरीय निकायों में 4 से 5 हजार रूपए महीने में कर्मचारियों से काम कराने की परंपरा को बढावा दिया। अस्थाई, ठेका, दैनिक वेतन भोगी कर्मियों के नियमितीकरण में सबसे बडी बाधा अंतू धुर्वे एवं उनका संगठन पैदा करता रहा, जिसका नतीजा है कि नगर निगम में 4 से 5 हजार रूपए में कर्मचारी काम कर रहे हैं, यह सभी कर्मचारी दलित आदिवासी समुदाय के हैं, इससे स्पष्ट है कि अंतू धुर्वे ने अधिकारी कर्मचारी संघ के नेता एवं सहायक कमिश्नर रहते हुए ही निगम के ठेका, अस्थाई कर्मियों के साथ अन्याय हुआ और वे तुच्छ से वेतन पर काम करने को मजबूर हैं।