औद्योगिक निवेश बढ़ाने शिवराज का मास्टरस्ट्रोक, 7 देशों के राजदूतों से करेंगे मुलाकात, दिल्ली रवाना

Gaurav Sharma
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भोपाल,डेस्क रिपोर्ट। सबका साथ सबका विकास के नारे के साथ पीएम मोदी ने विभिन्न योजनाओं और नीतियों को देश में प्रारंभ किया। मेड इन इंडिया, आत्मनिर्भर भारत जैसी योजनाओं ने न केवल भारत की दूसरे देशों पर निर्भरता को खत्म किया बल्कि दूसरे देशों का भारत और भारत में निवेश को लेकर नजरिया भी बदला। पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और विकासपूर्ण रणनीतियां के चलते आज हर देश भारत में निवेश करना चाहता है।

इसी बात को ध्यान में रखते हुए और प्रदेश में अंतरराष्ट्रीय निवेश को बढ़ाने के इरादे से मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान गुरुवार की सुबह देश की राजधानी दिल्ली के लिए रवाना हुए हैं। जानकारी के मुताबिक शिवराज दिल्ली में 7 देशों के राजदूतों से मुलाकात करेंगे और 11–12 जनवरी को इंदौर में होने जा रही ग्लोबल इन्वेस्टर समिट में उद्योगिक निवेश के लिए उन्हें आमंत्रित करेंगे। इसके अलावा मुख्यमंत्री शिवराज कल पुणे के लिए भी रवाना होंगी जहां वह देश के बड़े उद्योगपतियों से मुलाकात करेंगे।

आपको बता दें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 15 अगस्त को प्रदेशवासियों से वादा किया था कि वह अगली 15 अगस्त तक प्रदेश में एक लाख से ज्यादा नौकरियां युवाओं के लिए मुहैया कराएंगे। उनका आज का यह कदम न केवल प्रदेश में निवेश को बढ़ावा देगा बल्कि युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी खोलेगा और उनके प्रदेशवासियों से किए गए एक लाख नौकरियों के वादे को भी पूरा करने में मदद करेगा। जिन 7 देशों के राजपूतों से शिवराज मुलाकात आज मुलाकात करेंगे वह हैं यूके, यूएई, सिंगापुर, यूएस, जापान और साउथ कोरिया।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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