Indore : रामनवमी के दिन बिलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर में हुए दर्दनाक हादसे में करीब 36 लोगों की मौत हो गई। कईयों ने अपनी पत्नियों को खोया तो कईयों ने अपने बच्चों को। शहर के लिए ये दिन सबसे दुखद भरा रहा है। इस हादसे ने हर किसी की आंखें नम कर दी। 47 साल बाद इंदौर में ऐसा हादसा हुआ है जिसमें एक साथ 36 मौतें हुई है। हर कोई उनके खिलाफ नारेबाजी कर विरोध प्रदर्शन कर रहा हैं।
Indore नगर निगम ने किया मंदिर ध्वस्त
दरअसल, बावड़ी हादसे के बाद आज अलसुब्ह नगर निगम ने भारी पुलिस बल की उपस्थिति में मंदिर ध्वस्त कर दिया। इसका विरोध भी लोगों ने किया। सुबह मंदिर तोड़ने के विरोध में सिंधी कॉलोनी चौराहे पर लोगों ने नगर निगम के खिलाफ नारेबाजी की। जैसा कि आप सभी जानते हैं बावड़ी हादसे के बाद लोगों का गुस्सा फुट गया।
क्योंकि कई छोटे बच्चों से लेकर बड़े बुजुर्ग तक ने इस हादसे में अपनी जान गवा दी। कई घरों में मातम छा गया। देश के सबसे स्वच्छ शहर पर 36 मौतों का दाग़ लग चुका है। ये मौतें प्रशासन के लचर और लापरवाह रवैये का भी नतीजा है। धर्म के नाम पर अवैध कब्जे, अवैध निर्माण, शासन-प्रशासन की लापरवाही, मंदिर ट्रस्ट का गैर जिम्मेदाराना रवैया, नगर निगम की हीलाहवाली ने शहर के सबसे बड़े हादसे को अंजाम दिया।
इस वजह से हुआ हादसा
सिंधी कॉलोनी के पास स्नेहा नगर में सालों पहले एक बावड़ी थी। 20-25 साल पहले उसके ऊपर एक स्लैब डाल दिया गया। इसके बाद वो धीरे-धीरे मंदिर का हिस्सा बन गया जो असल में पूरी तरह अवैध था। बावड़ी नीचे थी ढंकी हुई लोगों को पता ही नहीं था कि वो जिस जगह बैठे हैं वहां 40-45 फीट नीचे मौत का गड्ढा है। रामनवमी के दिन जब श्रद्धालु बड़ी तादाद में वहां इकट्ठे हुए तो वो कमजोर छत टूट गई और लोग नीचे समा गए।