डबरा, अरुण रजक। बुराई पर अच्छाई के प्रति का पर दशहरा यूं तो हर गांव हर शहर में मनाया जाता है लेकिन कुछ लोग या तो भीड़ की वजह से रावण दहन का आनंद नहीं लेने जा पाते और या फिर घर से पुतला दहन की जगह की दूरी अधिक होने की वजह से लोग वहां नहीं पहुंच पाते। ऐसे में या तो वह सोशल मीडिया पर लाइव पुतला दहन देख कर अपना मनोरंजन करते हैं या फिर मन मार कर घर पर बैठे रहते हैं।
लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इन समस्याओं को अपने आड़े नहीं आने देते हैं और मेहनत करके खुद रावण का पुतला बनाकर उसका दहन कर भरपूर मनोरंजन करते हैं। ऐसा ही एक वाकया सामने आया है ग्वालियर जिले की डबरा तहसील में जहां पर कुछ लोगों ने मिलकर गंगा वेयरहाउस नामक स्थान पर 9 दिन लगातार मेहनत कर 40 फुट का रावण तैयार किया।
जब एमपी ब्रेकिंग न्यूज़ संवाददाता ने उनसे इस बात की जानकारी तो वहां मौजूद एक शख्स जिनका नाम संतोष था उन्होंने बताया कि हमने हर प्रकार की सावधानियों को ध्यान में रखते हुए लगभग 9 दिन में यह रावण का पुतला तैयार किया है। वहीं पास में मौजूद दूसरे शख्स ने हमें बताया कि क्योंकि हम अधिक भीड़ होने के कारण डबरा स्टेडियम ग्राउंड में पुतला दहन देखने नहीं जा पाते इसलिए ही पिछले 10 साल से ऐसे ही वेयरहाउस पर पुतला दहन करते हैं।
हमारे संवाददाताओं से बात करते हुए वहां मौजूद अनिल प्रजापति ने हमें बताया कि उन्हें रावण का पुतला बनाने की प्रेरणा गन्नू भैया से मिली जिनका कहना है कि इस तरह के आयोजनों से सभी लोग ना केवल साथ आते हैं बल्कि एक लंबे समय तक सभी का साथ एक दूसरे के साथ बना रहता है। जब वहां मौजूद लोगों से इसकी लागत के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया किस की लागत बहुत ही मामूली आई है। हम सभी बुराई पर अच्छाई और असत्य पर सत्य की जीत के प्रति पुतला दहन को लेकर काफी उत्साहित हैं।
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Gaurav Sharma
पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।
इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।