डबरा, सलिल श्रीवास्तव। महिला बाल विकास विभाग (Women and Child Development Department) द्वारा निकाली गई आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं (Anganwadi workers) की भर्ती (Recruitment) प्रक्रिया में नियम कायदों को दरकिनार कर नियुक्ति करने का मामला सामने आया है। इसके चलते डबरा नगर पालिका (Dabra Municipality) के वार्ड 28 चांदपुर (Chandpur) के हरिपुर मजरा की भर्ती सवालों के घेरे में है। अधिकारियों द्वारा सूची में दूसरे नंबर पर रखी गई प्रतिभागी ने आपत्ति दर्ज कराते हुए कलेक्टर एसडीएम महिला बाल विकास के आला अधिकारियों को आवेदन देकर शिकायत दर्ज कराई है। अब यह पूरा मामला वरिष्ठ अधिकारियों की जांच के बाद ही स्पष्ट होगा कि किस आधार पर महिला को नियुक्ति दी जा रही है।
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यह है मामला
आपको बता दें कि महिला बाल विकास विभाग द्वारा 21 जून 2021 को समाचार पत्रों के माध्यम से एक विज्ञप्ति प्रकाशित की थी। जिसमें आशा कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के पद पर भर्ती निकाली गई थी। बाद में प्राप्त आवेदनों के आधार पर 4 अगस्त को एक सूची जारी कर दी गई। जिसमें प्रथम स्थान पर और वेटिंग की लिस्ट जारी की गई। इस लिस्ट के जारी होते ही कई स्थानों पर आपत्ति लगने का दौर भी शुरू हो गया। इसी के चलते डबरा के वार्ड क्रमांक 28 स्थित हरिपुर में कार्यकर्ता की नियुक्ति में मोहिनी प्रजापति को प्रथम स्थान तो प्रतीक्षारत श्रेणी में आरती रावत को द्वितीय स्थान पर रखा गया।
सूची जारी होने के बाद ही आरती ने इस पूरी नियुक्ति पर सवाल खड़े कर दिए। आरती ने इस संबंध में एक शिकायती आवेदन जिलाधीश ग्वालियर कौशलेंद्र विक्रम सिंह, एसडीम डबरा प्रदीप शर्मा एवं महिला बाल विकास के अधिकारियों को दिया। जिसमें उन्होंने साफ तौर पर कहा कि श्रेणी में वह योग्य महिला थी। उसके हाई स्कूल में 67 हायर सेकेंडरी में 60 प्रतिशत थे। तो वह गरीब परिवार से होने के कारण बीपीएल कार्ड की पात्रता रखती है। सबसे बड़ी बात वह पारिवारिक कारणों के चलते पति से तलाक लेकर एकल जीवन व्यतीत कर रही है। इन सारे मापदंडों को देखते हुए अपनी नियुक्ति प्रथम स्थान पर होना लग रहा था। पर अधिकारियों ने उस महिला को पात्रता दे दी जिसका पक्का मकान और परिवार के अन्य सदस्य विभिन्न प्रकार की नौकरियां करते हुए अपना जीवन यापन कर रहे हैं।
पहली प्राथमिकता विधवा और तलाकशुदा को मिलती है
आपको बता दें कि इस नियुक्ति में सबसे ज्यादा पात्रता विधवा और तलाकशुदा महिला को दी जाती है। पर यहां इन नियमों को भी अनदेखा कर दिया गया। यह कोई पहला मामला नहीं है जब नियुक्ति विवादों में आई हो। इस पूरे मामले में अब जांच वरिष्ठ अधिकारियों के हाथ में है देखना यह है कि इस सब के बावजूद भी पात्र व्यक्ति को यह नौकरी मिल पाती है या फिर यूँ कहे कि अर्थ युग के चलते यहां भी राजनीति और रसूख भारी पड़ेगा।
वहीं इस संबंध में जिला परियोजना अधिकारी राजीव सिंह का कहना है चांदपुर में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के चयन की यह फाइनल सूची नहीं है। अनंतिम सूची है। अभी किसी का चयन नहीं हुआ है। जिस अभ्यार्थी को लग रहा है कि उसके साथ गलत हुआ है या किसी बात के चलते नंबर नहीं आया है। दावा आपत्ति लगाकर वह अपनी बात को रख सकती है दस्तावेज़ों की सही जाँच के बाद ही नियुक्ति की जायेगी।