Dabra News : सरकार जहां एक और गरीबी रेखा से नीचे की श्रेणी में आने वाले हितग्राहियों को निशुल्क राशन वितरण करके गरीब जनता को सुविधाएं दे रही है वहीं जमीनी स्तर पर आते-आते यह सुविधाएं हितग्राहियों को पूरी तरह से नहीं मिल पा रही है क्योंकि राशन वितरण की दुकानों पर भ्रष्टाचार फैला हुआ है। जो कि अधिकारियों की मिलीभगत के कारण चल रहा है ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि खुद हितग्राही का यह कहना है।
यह है मामला
बता दें कि वार्ड क्रमांक 19 में रहने वाले पातीराम शाक्य ने जनसुनवाई में पहुंचकर संबंधित अधिकारियों को शिकायती आवेदन दिया जिसमें पातीराम शाक्य ने बताया उनके परिवार में 5 सदस्य हैं जो कि परिवार आईडी में जुड़े हुए हैं जिनका उन्हें पिछले कई सालों से राशन मिल रहा था लेकिन विगत डेढ़ वर्ष से उन्हें सिर्फ चार सदस्यों का ही राशन कंट्रोल से दिया जा रहा है और उनके मोबाइल पर मैसेज पांच सदस्यों का आता है तो आखिर एक सदस्य का राशन कंट्रोल संचालक क्यों नहीं देता जब हितग्राही पातीराम ने फूड विभाग के ऑफिस में इस समस्या की जानकारी फ़ूड अधिकारी को दी तो फूड अधिकारी के कहने पर 5 सदस्यों का 2 महीने का राशन दे दिया गया।
लेकिन पिछले डेढ़ वर्ष से जो एक सदस्य का राशन कंट्रोल संचालक नहीं दे रहा है जब इसकी शिकायत उन्होंने सीएम हेल्पलाइन और वरिष्ठ अधिकारियों से की तो उनकी राशन पर्ची भी पूरी तरह बंद कर दी गई है और उनका राशन मिलना बंद हो गया। पातीराम शाक्य ने संबंधित अधिकारियों और कंट्रोल संचालक पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह घोटाला अधिकारियों की मिलीभगत से कंट्रोल संचालक करते हैं क्योंकि अधिकारियों के कहने पर राशन वितरित किया जाता है और उन्हीं के कहने पर रोक दिया जाता है जबकि यह नियम अनुसार होना चाहिए लेकिन यहां कोई नियम नहीं है हितग्राही पातीराम ने कहा कि अगर जल्द ही उनकी इस समस्या का निराकरण नहीं किया गया तो वह न्याय के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। आखिरकार प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी और सरकार जनता की इन समस्याओं पर ध्यान क्यों नहीं देते है क्यों अधिकारी और कंट्रोल संचालकों की मनमानी चलती है।
डबरा से अरुण रजक की रिपोर्ट