Dabra News : शाम होते ही शहर में छा जाता है अंधेरा, ध्यान नहीं दे रहे जिम्मेदार

Amit Sengar
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Dabra News : शाम होते ही डबरा शहर की सड़कों पर अंधेरा पसर जाता हैं जैसे बिजली का ब्लैक आउट हो। लेकिन यह ब्लैक आउट कुछ अलग तरह का है जो कि नगरपालिका के कारण हो रहा है। यह शहर के विकास की तस्वीरों को भी उजागर करता है।

यह है मामला

आपको बता दें कि डबरा शहर के मुख्य मार्गों कि सड़कों पर लगी हुई स्ट्रीट लाइटें कहने को तो दिन के उजाले में सभी को दिखती हैं लेकिन रात के समय डबरा शहर में लगी हुई स्ट्रीट लाइटें अधिकतर बंद या खराब पड़ी हुई है जिससे सड़कों पर अंधेरा पसरा रहता है जिसके कारण पैदल चलने वाले लोगों को तो काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। रात के समय अंधेरे के कारण महिलाएं तो मुख्य मार्ग से निकलती ही हैं। उनके मुताबिक अंधेरा होने से डर लगता है। शहरवासियों की मानें तो जब मुख्य मार्ग पर ही अंधेरा ही नगरपालिका दूर नहीं कर पा रही तो बाकी शहर के हाल ताे और भी बुरे हैं।रात के समय सड़कों पर अंधेरे के कारण गांव जैसी स्थिति बन जाती है, लेकिन जिम्मेदारों का ध्यान आम लोगों की समस्याओं की तरफ जाता ही नहीं है। इससे समस्या बड़ी हुई हैं। मगर जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारी इस समस्या पर कोई ध्यान नहीं दे रहे है जबकि डबरा नगरपालिका में आमजन ने इन समस्याओं को लेकर अधिकारियों को कई बार अवगत भी कराया गया है लेकिन डबरा नगर पालिका अध्यक्ष और जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारी इन समस्याओं पर कुछ भी कहने से बचते दिखाई पड़ते हैं।

नहीं सुधारी जाती स्ट्रीट लाइट

शहर के कई मोहल्लों में एक बार स्ट्रीट लाइट बंद होने के बाद कब सुधर पाएगी, ये तो कोई बता ही नहीं सकता । ऐसा इसलिए की नगरपालिका की शिकायत करने के बावजूद शहर की स्ट्रीट लाइट सुधरवाने के लिए जिम्मेदारी से काम नहीं किया जाता। इसके चलते गली मोहल्लों में भी रात के समय ब्लैक आउट की स्थिति बनती है। लोगों की मानें तोे कई बार शिकायत करने के बाद भी जब स्ट्रीट लाइट नहीं सुधारी जाती तो लोग शिकायत करना ही बंद कर देते हैं और परेशान होते रहते हैं ।
डबरा से अरुण रजक की रिपोर्ट


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है। वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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