5 हज़ार रुपए दोगे तब काम होगा, किसान ने नायब तहसीलदार से की बाबू की शिकायत

बाबू ने फरियादी किसान के साथ अभद्रता करते हुए गाली गलोज करना शुरू कर दिया और कहा कि अब तेरा काम कोई नहीं करवा सकता।

Amit Sengar
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Dabra News : मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले की डबरा तहसील से एक बड़ा मामला सामने आया है जहां एक किसान ने नायब तहसीलदार के बाबू पर अभद्रता करने और रिश्वत मांगने के गंभीर आरोप लगाए हैं साथ ही आवेदन देकर नायब तहसीलदार लोकमन शाक्य से शिकायत भी की है।

आपको बता दें कि किसान कमलेश शर्मा की कृषक भूमि जिसका सर्वे क्रमांक 735 रखवा 0.260 है जो कि कृषक भूमि ग्राम छोटी अकबई में है जिसके नामांतरण के लिए फरियादी किसान महीनों से डबरा तहसील के चक्कर काट रहा है लेकिन अब तक उसकी कोई सुनवाई नहीं हुई।

फरियादी किसान कमलेश शर्मा ने बताया ग्राम छोटी अकबई में उसकी कृषि भूमि है जिसके नामांतरण के लिए उसने लगभग 6 माह पहले डबरा तहसील मे दस्तावेजों की फाइल बनाकर जमा की थी जिस फाइल को तहसील के बाबू प्रकाश चौहान के द्वारा दफ्तर से गुम कर दिया गया किसान ने बताया कि तब से लेकर अब तक वह तहसील के चक्कर काट रहा है और जब फरियादी किसान ने इस संबंध में बाबू प्रकाश चौहान से पूछा कि उसकी फाइल कैसे खो गई तो बाबू द्वारा कहा गया कि उनकी फाइल खो चुकी है वह दोबारा तहसील में अपने दस्तावेज जमा करवा दें या फिर ₹5000 दे तो उनका काम जल्द हो जाएगा किसान ने यह भी बताया कि जब उसने बाबू से कहा कि उसकी फाइल कैसे खो गई और पैसे देने से इनकार कर दिया तो बाबू ने फरियादी किसान के साथ अभद्रता करते हुए गाली गलोज करना शुरू कर दिया और कहा कि अब तेरा काम कोई नहीं करवा सकता।

दफ्तर में कोई भी रिश्वत नहीं मांग सकता

वहीं इस मामले में नायब तहसीलदार लोकमन शाक्य ने कहा कि उनके दफ्तर में कोई भी रिश्वत की मांग नहीं कर सकता और अगर ऐसा हुआ है तो वह इसकी जांच करवाएंगे।

आखिर क्यों करते हैं अधिकारी कर्मचारी रिश्वत की मांग ?

आखिरकार बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि जब सरकार प्रशासनिक अधिकारी और कर्मचारियों को उचित तनख्वाह देती है तो कथित कर्मचारियों की जरूरतें तनख्वाह में पूरी क्यों नहीं हो पाती क्यों वह रिश्वत के सहारे अपनी नौकरी करता है।

डबरा से अरुण रजक की रिपोर्ट


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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