Dabra News: जहां एक ओर मध्य प्रदेश सरकार किसानों के हितों की बात करती है, वहीं जमीनी स्तर पर अगर देखा जाए तो किसान प्रशासनिक दफ्तरों के चक्कर लगाते रहते हैं। उसके बावजूद भी उनकी समस्याओं का निराकरण नहीं हो पाता। जी हां डबरा अनुभाग में कुछ ऐसे ही मामले किसानों के साथ देखने को मिल रहे हैं। जिसमें किसान बरसों से कई बार डबरा तहसील में प्रशासनिक अधिकारियों के चक्कर लगा रहे हैं। उसके बावजूद भी उनकी समस्या का कोई निराकरण नहीं हो पा रहा है। कई मामले सालों से पेंडिंग में पड़े हुए हैं। जिनका अब तक कोई निराकरण नहीं हो पाया।
आज तक नहीं हुई कोई कार्रवाई
किसान रामस्वरूप निवासी ग्राम पुट्टी डबरा ने बताया कि वह डबरा तहसील में लगभग 2 साल से अपनी जमीन की नपाई एवं कब्जा दिलाने को लेकर एसडीएम कार्यालय और कलेक्टर के यहां चक्कर लगा रहे हैं। उसके बाद भी आज की तारीख तक उनकी कोई सुनवाई प्रशासन ने नहीं की और वह लगातार अधिकारियों के चक्कर लग रहे हैं।
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एसडीएम कार्यालय के चक्कर लगाकर परेशान हो गए
वहीं एक और किसान मुन्नालाल निवासी ग्राम चुरली ने बताया कि उनके खेत पर किसी दबंग ने कब्जा कर लिया है। जिसके बाद वह सालों से अपनी जमीन को छुड़वाने और न्याय मांगने के लिए डबरा एसडीएम कार्यालय के चक्कर लगा लगाकर परेशान हो गए हैं। लेकिन अब तक उनकी फरियाद किसी ने नहीं सुनी।
वहीं एक और किसान रामस्वरूप शिवहरे निवासी ग्राम कल्याणी ने बताया कि ग्राम का ही एक दबंग रामसेवक उनकी जमीन पर कब्जा कर रहा है। रामस्वरूप ने बताया उनकी एक बीघा जमीन है। जिस पर एक दबंग कब्जा कर रहा है। जिसके बाद उन्होंने शिकायत की तो डबरा तहसीलदार ने थाने के लिए कार्रवाई करने को लिखा उसके बावजूद भी पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर रही है और वह अपनी जमीन के लिए न्याय मांगने दर-दर भटक रहे हैं। उसके बावजूद भी प्रशासन उनकी नहीं सुन रहा है।
ऐसे में साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि डबरा अनुभाग में इतने जमीनी प्रकरण पेंडिंग में पड़े हुए हैं। उसके बावजूद भी प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं करता धीरे-धीरे लोगों का विश्वास जनसुनवाई और सरकार के वादों से उठता जा रहा है।
डबरा से अरूण रजक की रिपोर्ट
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Shashank Baranwal
पत्रकारिता उन चुनिंदा पेशों में से है जो समाज को सार्थक रूप देने में सक्षम है। पत्रकार जितना ज्यादा अपने काम के प्रति ईमानदार होगा पत्रकारिता उतनी ही ज्यादा प्रखर और प्रभावकारी होगी। पत्रकारिता एक ऐसा क्षेत्र है जिसके जरिये हम मज़लूमों, शोषितों या वो लोग जो हाशिये पर है उनकी आवाज आसानी से उठा सकते हैं। पत्रकार समाज मे उतनी ही अहम भूमिका निभाता है जितना एक साहित्यकार, समाज विचारक। ये तीनों ही पुराने पूर्वाग्रह को तोड़ते हैं और अवचेतन समाज में चेतना जागृत करने का काम करते हैं। मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी ने अपने इस शेर में बहुत सही तरीके से पत्रकारिता की भूमिका की बात कही है–
खींचो न कमानों को न तलवार निकालो
जब तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बार निकालो
मैं भी एक कलम का सिपाही हूँ और पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूँ। मुझे साहित्य में भी रुचि है । मैं एक समतामूलक समाज बनाने के लिये तत्पर हूँ।