ऊर्जा मंत्री के जिले में बड़ी लापरवाही, खंबे में करंट आने से गर्भवती भैंस की मौत, भटक रहा पशुपालक

Atul Saxena
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Dabra News : मध्य प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर के गृह जिले ग्वालियर में इनके ही विभाग के अधिकारियों की बड़ी लापरवाही सामने आई है। जिले के डबरा नगर में एक पशुपालक बिजली विभाग की लापरवाही का शिकार हो गया, उसकी एक गर्भवती भैंस बिजली के खंबे में चिपक गई और करंट लगने से उसकी मौत हो गई। पशुपालक शिकायत लेकर बिजली कंपनी के अधिकारियों के पास पहुंचा लेकिन संवेदनहीन अधिकारियों ने उसे टरका दिया, परेशान पशुपालक ने एसडीएम को इस मामले में एक शिकायती आवेदन दिया है और मुआवजे की मांग की है।

ऊर्जा मंत्री के जिले में बड़ी लापरवाही, खंबे में करंट आने से गर्भवती भैंस की मौत, भटक रहा पशुपालक

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बिजली के खंबे में करंट, चिपक गई भैंस 

डबरा के वार्ड क्रमांक 6 गौतम विहार कॉलोनी में रहने वाले सुमंत तिवारी को बिजली विभाग की लापरवाही का बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ा है , बीती 1 मई को उनका भाई उनके घर की भैंसे चराने गया था। रास्ते में वृंदा सहाय कॉलेज के पास लगे बिजली के खंबे के पास से जब उनकी एक भैंस निकली तो वो उससे चिपक गई, खंबे में आये करंट से उसकी मौत हो गई, भैंस गर्भवती थी।

बिजली अधिकारियों से मिला पीड़ित पशुपालक, भगा दिया 

भैंस के चिपकते ही उनके भाई ने दूसरी भैंसों को खंबे से दूर किया और परिजनों को पूरी बात बताई। सुमंत तिवारी ने बताया कि घटना के बाद वे बिजली कंपनी के अधिकारियों के पास गए उन्हें आवेदन दिया और खंबे की जाँच करने और उन्हें मुआवजा देने  की बात की तो उन्होंने कह दिया कि हमारे यहाँ ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, हम लाइन मेन को भेज देंगे।

संवेदनहीन अधिकारी यहाँ वहां भटका रहे 

कुछ देर बाद एक कर्मचारी वहां आया और खबे से कनेक्शन को अलग कर गया लेकिन संवेदनहीन अधिकारियों को पशुपालक के प्रति सहानुभूति नहीं दिखाई। अपनी 80 हजार रुपये की भैंस और उसके पेट में पल रहे 9 महीने के बच्चे की जान जाने से दुखी सुमंत तिवारी अपने भाई के साथ तहसीलदार के पास आवेदन देने पहुंचे और मुआवजे की मांग की तो उन्होंने भी “ऐसा कोई प्रावधान नहीं है” कहकर उन्हें टरका दिया।

एसडीएम से भी कोई फौरी राहत नहीं मिली  

परेशान पशुपालक सुमंत तिवारी ने कल मंगलवार को एसडीएम की जनसुनवाई में आवेदन देकर मुआवजे की मांग की तो उन्होंने बिजली कंपनी के जेई को उसे मार्क कर दिया, यानि जिस बिजली कंपनी के अधिकारी संवेदनहीन है एसडीएम ने पीड़ित को उन्हीं का पास वापस भेजकर खुद का पल्ला झाड़ लिया।

पीड़ित का सवाल – इंसान होता तो भी क्या यही करते ?

सुमंत तिवारी कहते हैं कि बिजली का खंबा बिजली विभाग का है यदि उसमें करंट आने से कोई हादसा होता है तो उसकी जिम्मेदारी बिजली विभाग की नहीं होगी तो किसकी होगी, खंबे के पास  से मवेशियों का अलावा बच्चे बुजुर्ग, महिलाएं सब निकलते हैं, आज ये हादसा मेरी भैंस के साथ हुआ है यदि ये किसी इंसान के साथ होता तो क्या बिजली विभाग और प्रशासन ऐसा ही बर्ताव करता?

डबरा से अरुण रजक की रिपोर्ट 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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