दमोह (Damoh) की सड़कों पर पिछले कुछ महीनों में लगातार बढ़ते हादसों ने पुलिस और प्रशासन की चिंता बढ़ा दी थी। मोटरसाइकिल चलाते समय हेलमेट न पहनना इन हादसों का सबसे बड़ा कारण बनकर सामने आया। उसी चिंता से शुरू हुआ एक ऐसा अभियान, जिसमें कानून के साथ मानवीयता भी जुड़ी नाम दिया गया थाउजेंट लाइव यह सिर्फ एक अभियान नहीं, बल्कि लोगों की जिंदगी बचाने का संकल्प बन चुका है।
दमोह एसपी श्रुत कीर्ति सोमवंशी की पहल पर शुरू हुई यह मुहिम अब शहर की पहचान बन रही है। खास बात यह है कि इस अभियान में सिर्फ पुलिस ही नहीं, बल्कि आम लोग, सामाजिक संस्थाएं, व्यापारी और युवा भी हेलमेट दान कर सड़क सुरक्षा की इस लड़ाई में शामिल हो गए हैं। रोजाना शाम को एसपी खुद चौराहों पर खड़े होकर लोगों को समझाते और हेलमेट बांटते दिखाई देते हैं, और यह नज़ारा लोगों को सोचने पर मजबूर कर देता है जान है, तो जहान है।
दमोह में सड़क हादसे और थाउजेंट लाइव की जरूरत क्यों पड़ी?
दमोह जिले में पिछले कुछ सालों में सड़क हादसे लगातार बढ़ रहे थे। पुलिस रिकॉर्ड बताता है कि बाइक सवारों की मौतें अन्य हादसों की तुलना में कहीं अधिक थीं। अधिकतर मामलों में वजह एक ही निकली हेलमेट न पहनना। इस स्थिति ने पुलिस और समाज दोनों को झकझोरा। एसपी श्रुत कीर्ति सोमवंशी ने महसूस किया कि चालानी कार्रवाई से ज्यादा जरूरी है लोगों को जिंदगी का महत्व समझाना। इसी सोच से जन्म हुआ थाउजेंट लाइव अभियान का एक हजार जिंदगियां सुरक्षित करने का लक्ष्य लेकर शुरू की गई सामाजिक पहल। यह अभियान सिर्फ एक लक्ष्य पूरा करने के लिए नहीं, बल्कि लोगों में हेलमेट की आदत विकसित करने के लिए शुरू हुआ। क्योंकि सड़क सुरक्षा कानून सिर्फ कागज़ों पर नहीं, रोजमर्रा की जिंदगी में दिखनी चाहिए।
कैसे चल रहा है थाउजेंट लाइव अभियान?
अभियान की सबसे अनोखी बात यह है कि इसमें दमोह पुलिस अकेले नहीं है। लोग खुद आगे आकर हेलमेट दान कर रहे हैं। कई संस्थाएं, व्यापारी और युवा रोज पुलिस से संपर्क करके अपना योगदान दे रहे हैं। यह दृश्य दमोह के लोगों ने शायद पहली बार देखा जहां पुलिस अक्सर चालान करते दिखती थी, वहीं अब एसपी खुद हाथ में हेलमेट लिए लोगों को रोककर समझाते दिखते हैं।






