दमोह, आशीष कुमार जैन। कहते हैं कि दृढ़ इच्छाशक्ति के आगे बड़ी से बड़ी कठिनाई हार मान लेती है। यदि व्यक्ति में आत्मशक्ति स्वयं की शक्ति है तो वह कोरोना जैसी महामारी को भी हरा सकता है। भले ही उसकी उम्र कितनी भी क्यों न हो। इस बात का जीता जागता उदाहरण है दमोह में ठीक हुए 90 वर्षीय बुजुर्ग जो एक वृद्धाश्रम में रहते हैं और कोरोना की जंग जीत कर एक बार फिर आश्रम लौट आए हैं।
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दमोह के वृद्धाश्रम में अपने परिजनों से दूर रह रहे 90 वर्षीय बुजुर्ग कडोरी को कुछ दिनों पहले कोरोना पॉजिटिव होने के चलते जिला अस्पताल में भर्ती कराया था। वैसे तो ज्यादा उम्र वाले लोगों के के ये महामारी काल साबित हो रही है लेकिन 90 वर्षीय बुजुर्ग के जीने की इच्छा और आत्मशक्ति ने उन्हें इस महामारी से बचा लिया। कडोरी का कहना है कि डॉक्टरों के अच्छे इलाज और अपनी जीवनशक्ति से उन्होंंने कोरोना को हरा दिया है। वहीं बुजुर्ग का इलाज करने वाले डॉ दिवाकर पटेल कहते हैं कि यह बीमारी किसी को भी हो सकती है लेकिन यदि व्यक्ति में मन की इच्छा शक्ति हो, जीने की इच्छा हो और वह अंदर से हार ना माने तो निश्चित ही कोरोना से जंग जीती जा सकती है। 90 वर्ष बुजुर्ग इसका जीता जागता उदाहरण है। उन्होंने इसी तरह से हर मरीज से अपनी इच्छाशक्ति बनाए रखने की बात भी कही है।