दमोह, गणेश अग्रवाल। विधानसभा उपचुनाव के समय तो बीजेपी (bjp) ने दलबदलू नेताओं और अपने पुराने कार्यकर्ताओं के बीच का अंतर्विरोध साध लिया, लेकिन अब कहीं जाकर ये उसके गले की फांस न बन जाए। दमोह के भाजपा दफ्तर में मंत्री भूपेंद्र सिंह (bhupendra singh) की मौजूदगी में जो हुआ, वो शायद यही इशारा कर रहा है।
आम तौर पर अनुशासन में रहने वाली बीजेपी में अब वक़्त के साथ बदलाव की बयार चल पड़ी है। भाजपा का पुराने कार्यकर्ताओं की नाराजगी साफ दिखाई दे रही है और इस नाराजगी की वजह बड़ी संख्या में दूसरी पार्टियों से दामन छुड़ाकर भाजपा में शामिल हो रहे नेता और उन्हें पार्टी में मिल रही तवज्जो है। बीते विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस से बीजेपी में आये नेताओं को ना सिर्फ उम्मीदवार बनाया गया बल्कि पार्टी वर्कर्स ने उन्हें जिताने के लिए जीतोड़ मेहनत भी की। लेकिन एक बार फिर हालात बदल गए हैं। दमोह में अगले महीनों में उपचुनाव होना है और यहाँ से कांग्रेस पूर्व विधायक राहुल लोधी (rahul lodhi) के भाजपा में शामिल होने के बाद और सरकार ने उन्हें केबिनेट मंत्री का दर्जा देकर वेअरहाउसिंग एवं लॉजिस्टिक कार्पोरेशन का चेयरमेन भी बनाया है। माना जा रहा है की भाजपा और राहुल लोधी के बीच जो समझौता हुआ था उसके मुताबिक़ राहुल को ही दमोह उपचुनाव में भाजपा उम्मीदवार बनाएगी। लेकिन अब सवाल बीते 35 सालों से दमोह की राजनीति में बड़ा नाम और शिवराज सरकार में वित्त मंत्री रहे जयंत मलैया (jayant malaiya) का है, जिनका राजनैतिक भविष्य इसी उपचुनाव पर टिका है। बता दें कि मलैया को राहुल ने ही हराया था और अब दौर ये है की राहुल ही मलैया की पार्टी में हैं। लिहाजा अब आमने-सामने चुनाव में हार जीत के लिए नहीं बल्कि पार्टी की टिकिट के लिए मुकाबला है। और ये लड़ाई उस समय सामने आ गई जब भूपेंद्र सिंह यहां बैठक लेने पहुंचे।
उपचुनाव के लिए बीजेपी ने नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह को प्रभारी बनाया है। वे 26 जनवरी के दिन कार्यकर्ताओं से रायशुमारी करने पार्टी दफ्तर पहुंचे जहाँ उनका गर्मजोशी से स्वागत तो हुआ, लेकिन इस स्वागत के बीच हंगामा भी हो गया। भूपेंद्र सिंह के साथ राहुल सिंह मंच पर थे लेकिन मलैया नदारद रहे और जैसे ही मलैया के बेटे सिद्धार्थ मलैया (siddharth malaiya) का नाम स्वागत करने वाली सूची में आया, तो मलैया समर्थकों ने हल्ला बोल दिया। उन्होने जमकर नारेबाजी की और मलैया जिंदाबाद के साथ राहुल को गद्दार जैसे सम्बोधनों से भी नवाजा गया। हालात हंगामे के बन रहे थे लिहाजा पार्टी के लोगों को बार बार ये तक कहना पड़ा कि ये कांग्रेस नहीं भाजपा है। आखिरकार मंत्री भूपेंद्र सिंह के हस्तक्षेप के बाद मामला शांत हो गया लेकिन एक बार खुलकर राहुल का विरोध रायशुमारी में दिखा। भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्षों के साथ मंडलों के अध्यक्षों ने एक सुर में राहुल नहीं मलैया को प्रत्याशी बनाये जाने की मांग की है, जिसे जिम्मेदारी के साथ पूरे जिला अध्यक्ष ने मीडिया के सामने भी रखा है।
इधर कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त कर चुके राहुल सिंह कह रहे हैं कि पार्टी ही तय करेगी की प्रत्याशी कौन होगा, लेकिन वो खुद के चुनाव लड़ने पर पूरी तरह आश्वस्त नजर आ रहे हैं। लेकिन दमोह में दो फाड़ हो चुकी भाजपा के लिए ये हालात चिंताजनक हो सकते हैं और इस बीच अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाने का माद्दा रखने वाले पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया के बेटे फ्रंट में आ गए हैं। मीडिया के सामने अपनी बात रहते हुए सिद्धार्थ ने साफ़ कहा की पार्टी में दावेदारी मीडिया के जरिये नहीं होती। वहीं व्यंगात्मक शैली में उन्होंने राहुल लोधी को शुभकामनाएं भी दे डाली।
माना जाता है कि प्रदेश के दूसरे कांग्रेस विधायकों के साथ राहुल लोधी को भाजपा में लाने में मंत्री भूपेंद्र सिंह ने अहम् किरदार निभाया था। और यही वजह है की पार्टी ने उन्हें दमोह का प्रभारी बनाया है। लेकिन पहली ही मीटिंग में जो हुआ उसने भूपेंद्र सिंह के भी होश उड़ा दिए है। हालांकि मीडिया के सामने भूपेंद्र सिंह कह रहे है की पार्टी आलाकमान तय करेंगे कि प्रत्याशी कौन होगा लेकिन इस बैठक के बाद ये बात तो साफ हो गई है कि दमोह चुनाव की राह बीजेपी के लिए आसान नहीं होने वाली है।