धर्मांतरण पर सख्त हुआ बाल संरक्षण आयोग, राष्ट्रीय अध्यक्ष ने दर्ज कराई एफआईआर

Amit Sengar
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दमोह, आशीष कुमार जैन। देश भर में गरमाये धर्मांतरण के मुद्दे की आग अब मध्यप्रदेश में तेजी से फ़ैल रही है और अबकी बार न सिर्फ हिंदूवादी संगठन बल्कि देश की एक संविधानिक संस्था राष्ट्रीय बाल सरंक्षण आयोग (National Child Protection Commission) के अध्यक्ष ने इस मुद्दे को हवा देते हुए बाकयदा ईसाई मिशनरी के खिलाफ एफ आई आर दर्ज कराई है। मामला एमपी के दमोह का है जहाँ रविवार देर शाम शुरू हुआ हाई  वोलटेज ड्रामा देर रात तक चला और आखिरकार पुलिस ने बाल आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष की रिपोर्ट पर आपराधिक मामला दर्ज किया है।

दमोह जिले में धर्मांतरण का मुद्दा नया नहीं है बल्कि कई सालों से हिंदूवादी संगठन इस पर आवाज़ उठाते आये है लेकिन पुख्ता सबूत न मिल पाने की वजह से कभी आरोपित लोगों पर कार्यवाही नहीं हो पाई। लेकिन रविवार को दमोह में जो घटा वो देश भर में गौर करने लायक है। दरअसल इस बार हिंदूवादी संगठनों ने नहीं बल्कि भारत सरकार के राष्ट्रीय बाल सरंक्षण आयोग के अध्यक्ष ने दमोह में धर्मांतरण का आरोप ही नहीं लगाया बल्कि बाकयदा पुलिस में एफआईआर दर्ज कराई है।

दरअसल आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो रविवार को दमोह जिले के दौरे पर आये थे। कानूनगो के मुताबिक़ उन्होंने सिर्फ अपने आने की सूचना जिले के अफसरों को दी थी और वो यहाँ चल रहे कुछ बाल उपक्रमों का औचक निरीक्षण करना चाहते थे। पने प्लान के मुताबिक़ कानूनगो ने दमोह में ईसाई मिशनरी द्वारा चलाये जा रहे अनाथ आश्रमों चिल्ड्रन हाउसेस का औचक निरिक्षण करना चाहा तो खासा बबाल हो गया। बाल आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो मध्यप्रदेश राज्य बाल अधिकार सरंक्षण आयोग के सदस्य ओमकार सिंह मरकाम के साथ साथ कटनी बायपास स्थित एक हॉस्टल पहुंचे तो मेन गेट पर उन्हें लंबा इंतज़ार करना पड़ा। उनके साथ पुलिस के आला अधिकारियों के साथ प्रशासन के नुमाइंदे भी मौजूद थे लेकिन मेन गेट नहीं खुला।  इसके बाद आग बबूला कानूनगों बाइक पर सवार दिखे और हॉस्टल पहुंचे तो भड़क गए। कानूनगो के मुताबिक़ इन ईसाई मिशनरी की संस्थाओ में मासूम बच्चों का धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है। एक उदाहरण पेश करते हुए उन्होंने कहा की सूबे के डिंडोरी जिले से एक बच्चा यहाँ लाया गया है जिसे पादरी बनने की ट्रेनिंग दी जारही है।

बता दें कि मामला यहीं ख़त्म नहीं हुआ बल्कि एक आयोग के अध्यक्ष को पुलिस की शरण लेनी पडी , प्रियंक इस इलाके की जबलपुर नाका पुलिस चौकी पहुंचे जहाँ शिकायत दर्ज कराने के लिए बैठे रहे लेकिन पुलिस अधिकारियों ने उन्हें देहात थाना पुलिस में जाने के लिए कहा गया जहाँ ईसाई मिशनरी के लोगों के  खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने आयोग के अध्यक्ष इंतज़ार करते रहे, देर रात तक करीब चार घंटे में बाल आयोग के अध्यक्ष की प्राथमिकी दर्ज की गई। इसके बाद कानूनगो ने मीडिया से बात करते हुए प्रदेश के महिला बाल विकास विभाग को कटघरे में खड़ा किया। उनकी माने तो आयोग अध्यक्ष के दमोह दौरे की जानकारी बस विभाग को थी लेकिन औचक निरिक्षण के पहले सम्बंधित संस्थाओं को सूचना देने वाला कोई और नहीं बल्कि विभाग के लोग ही थे जिसके बारे में उन्होंने कहा की उन्होंने खुद एक अफसर का मोबाइल फोन पकड़ा है।

दमोह के देहात थाना में देर रात तक हाई वोल्टेज ड्रामा चला जब आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष पुलिस थाने के भीतर रिपोर्ट दर्ज करा रहे थे और थाना परिसर में जमा हुए हिंदूवादी संघठन नारेबाजी कर रहे थे। इस बीच लबे इंतज़ार के बाद रिपोर्ट दर्ज होने के बाद भी आयोग अध्यक्ष कानूनगो ने पुलिस के प्रति संतुष्टि व्यक्त की।

दूसरी तरफ जिस संस्था मिड इंडिया क्रिश्चियन मिशन के ऊपर आरोप लगे उस हॉस्टल की प्राचार्य के मुताबिक़ धर्मांतरण जैसे आरोप बेबुनियाद है। प्राचार्य ट्रीजा मिस के मुताबिक़ इस हॉस्टल में किसी भी बच्चे को कोई पाबंदी नहीं जबकि हिन्दू और मुस्लिम बच्चे अपने धर्मो को मानते हुए पूजा पद्धति का उपयोग करते है।

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बाल आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष के औचक निरिक्षण को लेकर जहाँ मेन गेट ना खोले जाने का सवाल किया गया तो प्राचार्य का कहना है की रविवार को बच्चे हॉस्टल से बाहर नहीं जाते वही सुरक्षा कारणों से गेट खोलने में देरी हुई।

पुलिस थाने में हंगामे और नारेबाजी के बीच पुलिस ने आयोग के अध्यक्ष की रिपोर्ट पर ईसाई मिशनरी के दस लोगों के खिलाफ आई पी सी दी धारा 370 किशोर न्याय अधिनियम 2015  की धारा 42 एवं 75  मध्यप्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अध्यादेश 2020  की धारा 03 और धारा 05  के तहत मामला दर्ज किया है। एडिशनल एस पी शिवकुमार सिंह के मुताबिक़ आयोग अध्यक्ष ने धर्मांतरण जैसे आरोप लगाए है जिनकी जांच की जा रही है।

बहरहाल एक बार फिर मध्यप्रदेश में धर्मांतरण का मुद्दा गरमा है , जब एक राष्ट्र व्यापी संस्था यानी आयोग के अध्यक्ष को इस तरह का कदम उठा कर खुद पुलिस थाने की दहलीज नापनी पडी तो सूबे में हालातों का अनुमान लगाया जा सकता है।


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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