Damoh Sloganeering On The Streets News : मध्य प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव है और ऐसे में सत्ताधारी भाजपा अभी से मैदान में है लेकिन उनकी ही पार्टी के जिम्मेदार नेता सरकार के रवैये से नाराज होकर सड़कों पर उतर आए हैं, बीच सड़क भाजपा नेता सरकार की खिलाफत कर रहे हैं तो सड़कों पर कलेक्टर एस पी को हटाने के नारे बुलंद हो रहे हैं।
क्या है पूरा मामला देखिए इस रिपोर्ट में
बता दें कि दमोह की सड़कों पर हंगामा और नारेबांजी के बीच सरकार के खिलाफ प्रदर्शन और खुलकर कलेक्टर एस पी को हटाने की मांग के साथ ये हिंदूवादी संगठन के कार्यकर्ता है जो दमोह जिले में बड़े पैमाने पर मिल रही धर्मान्तरण की शिकायतों के बाद आंदोलित हैं। धर्मान्तरण बड़ा मुद्दा है तो पिछले दिनों एक शिविलिंग को खंडित किये जाने के साथ दूसरे हिंदू आस्था के मंदिरों में हुई छेड़छाड़ से नाराजगी भी है। शुक्रवार को तमाम हिंदूवादी संगठनों ने दमोह बन्द का ऐलान किया और सड़कों पर हंगामा किया। सुबह से बाजार बंद रहे और बडी संख्या में हिंदूवादी सड़को पर थे तमाम प्रदर्शनकारी प्रशासन और शिवराज सरकार से नाराजगी व्यक्त करते देखे गए।
मामला यही तक सीमित नही है बल्कि चिंताजनक तब हो जाता है जब इन संगठनों के साथ सत्ताधारी भाजपा भी सरकार के खिलाफ खड़ी दिखाई दे रही हैं। खुद दमोह के भाजपा जिलाध्यक्ष प्रीतम लोधी अपने समर्थकों के साथ सड़को पर आए और उन्ही ने खुलकर शासन प्रशासन पर तीर चलाये। भाजपा जिलाध्यक्ष का आरोप है कि जिले में खुलेआम बेख़ौफ़ गाय काटी जा रही हैं पुलिस की मिलीभगत से गौ तश्कशी हो रही है, धर्मान्तरण का खेल चल रहा है और हिंदू मंदिरों को निशाना बनाया जा रहा है, वो खुद पार्टी शीर्ष नेतृत्व और मुख्यमंत्री को इसकी जानकारी दे चुके हैं लेकिन सरकार और प्रशासन मौन है। इसके साथ ही इलाके के भाजपा पार्षद भी सरकार पर बरसते हुए कह रहे हैं कि ये औरंगजेब का शासन काल नही है कि हिन्दू शांत रहे।
दरअसल, दमोह जिले में धर्मान्तरण बड़ा मुद्दा है और पिछले महिने बाल सरंक्षण आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रियंक क़ानूनगो ने गंभीर आरोप लगाते हुए खुद ईसाई मिशनरी के खिलाफ पुलिस में एफ आय आर दर्ज कराई थी जिसके बाद से हड़कंप मचा हुआ है लेकिन इस मामले में पुलिस एक भी गिरफ्तारी नही कर पाई। अब आलम ये है कि भाजपा नेताओं और हिंदूवादी संगठनों को मध्य्प्रदेश की सरकार पर विश्वास नही रह गया और इस बार प्रदेश सरकार को छोड़ उन्होंने केंद्रिय गृह मंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा है। इलाके के एस डी एम के मुताबिक केंद्रीय गृह मंत्री तक उनकी बात उचित माध्यम से भेजी जाएगी और विधिवत कार्यवाही होगी
तश्वीरें और नेताओं के बयान साफ कर रहे हैं कि कई मुद्दों पर पार्टी और सरकार में अनबन मची हुई है, शायद तभी जिलाध्यक्ष जैसे जिम्मेदार नेता को सरकार के खिलाफ मीडिया के सामने आना पड़ रहा है। सवाल ये भी उठता है कि क्या ब्यूरोकेसी सूबे में हावी है? क्या पार्टी नेताओं को तबज्जो नही मिल रही? और क्या सरकार पर से उनकी ही पार्टी और समर्थकों का विश्वास उठ गया है और इन लोगों को केंद्र सरकार से उम्मीद है।
दमोह से आशीष कुमार जैन की रिपोर्ट