रेंजर पर हुआ जानलेवा हमला, एक पखवाड़े में तीन मामले आए सामने

दमोह, गणेश अग्रवाल। वन अमले पर लगातार ही हमले किए जाने के मामले दमोह जिले में सामने आ रहे हैं। एक पखवाड़े में तीन मामले वन अमले पर हमले के आने के बावजूद भी इन पर लगाम नहीं लग पा रहा है। दो मामले जहां वन रक्षकों पर हमले के आए हैं, वही यह मामला दमोह रेंज के रेंजर पर हमले का है। जिसमें घायल रेंजर का अस्पताल में इलाज किया जा रहा है।

दरअसल, वन विभाग के अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार दमोह रेंज के रेंजर केके नामदेव आम चोपरा क्षेत्र में गश्त कर रहे थे, इसी दौरान एक मुरम से भरा हुआ ट्रैक्टर जा रहा था। जब ट्रैक्टर रोक कर उन्होंने जानकारी चाही, तो स्थानीय कुछ दबंगों द्वारा ट्रैक्टर को भगा दिया गया। साथ ही रेंजर पर हमला कर दिया गया। रेंजर के मुताबिक यह लोग पहले भी वन भूमि पर कब्जा कर चुके हैं, तथा कुछ समय पूर्व उनके द्वारा किए गए अतिक्रमण को भी हटाया जा चुका है। उन्हीं लोगों के द्वारा यह हमला किया गया है, जिसमें रेंजर को पीठ एवं हाथों में गंभीर चोटें आई हैं, जिसे इलाज के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। वहीं मौके पर डीएफओ ने पहुंचकर के कार्रवाई शुरू कर दी है।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।