दमोह, आशीष कुमार जैन। मध्यप्रदेश में कुछ घटनाओं के बाद जहां माहौल गरमाया हुआ है वहीं सूबे के दमोह में अब हालात वर्ग संघर्ष के बनते जा रहे हैं जिसका उदाहरण शनिवार को दमोह की सड़कों पर देखने को मिला जब हिन्दू वादी संगठनों और ओबीसी महासभा ने हंगामा मचाया। दरअसल बीते दिनों प्रदेश के सागर जिले के बंडा में एक ओबीसी वर्ग की नाबालिग लड़की के साथ रेप की वारदात घटित हुई और मामला तूल पकड़ गया। भाजपा नेता प्रीतम लोधी ने बयानबाजी की तो प्रदेश में ब्राह्मण नाराज हो गए और पूरे प्रदेश में हंगामे जैसे हालात बन गए इसका सबसे ज्यादा असर दमोह में देखने को मिल रहा है।
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वही ओबीसी वर्ग की तरफ से हाल ही में जिला पंचायत सदस्य बने दिगपाल लोधी लगातर सोशल मीडिया पर साधु संतों और जाति विशेष पर टिप्पणी कर रहे हैं। शनिवार को ओबीसी वर्ग ने दमोह मुख्यालय पर रेप के आरोपी अरुण मिश्रा का पुतला जलाने की घोषणा की तो जिले के हिंदूवादी संगठनों ने जवाब में भारत माता की आरती और अरुण मिश्रा का पुतला फूंकने का आयोजन करने की घोषणा की। इन दोनों आयोजनों को लेकर शहर में दहशत का माहौल बन गया। दोनों ही पक्ष कुछ दूरी पर बड़ी संख्या में जमा हुए। हिन्दू संगठनों ने अस्पताल चौक पर जमावड़ा किया तो ओबीसी वर्ग ने तहसील मैदान पर।
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इस बीच दोनों पक्षो ने जमकर एक दूसरे पर आरोप लगाते हुए हमला बोला। इतना ही नही हालात तब बिगड़ते दिखे जब हिदू संगठनों के लोग पुतला लेकर ओबीसी वर्ग के आयोजन स्थल की तरफ बढ़ गए। बड़ी संख्या में मौजूद इन लोगों को पुलिस ने रोकने की बेहद कोशिश की लेकिन प्रदर्शनकारी रुकने का नाम नही ले रहे थे। वही कुछ दूरी पर पुलिस के आला अधिकारियों की समझाइश पर प्रदर्शनकारी पुतला लिए लोग रुक पाये। दोनों ही पक्ष बलात्कारी अरुण मिश्रा को फांसी की मांग उसकी संपत्ति पर बुलडोजर चलाने की मांग कर रहे है लेकिन मामला इसलिए संवेदनशील हो गया है क्योंकि ओबीसी वर्ग द्वारा पहले प्रीतम लोधी और फिर दिगपाल लोधी द्वारा साधु संतों कथा वाचकों और ब्राह्मणों के विरुद्ध अमर्यादित टिप्पणी की गई।
वर्ग संघर्ष के हालातों के बीच खास बात ये है कि प्रशासन ने दोनों पक्षो के लिए आज के कार्यक्रम की परमिशन नही दी थी। खुद जिले के एस पी डी आर तेनिवार कह रहे हैं कि किसी भी पक्ष को आज के आयोजनो की अनुमति नही दी गई थी, बिना परमीशन के ये आयोजन हुए है और अब लोगों को चिन्हित कर कानूनी कार्यवाही की जाएगी। मामला फिलहाल टल गया लेकिन जो तश्वीरें सामने आई है उससे हालातो पर पूरी तरह काबू हो गया ऐसा नही माना जा सकता। सुबह से दोनों पक्षो के लोग बड़ी संख्या में जमा हो रहे थे पहले से दोनों पक्षो ने आयोजन की घोषणा की थी और जब प्रशासन ने परमीशन नही दी तो फिर लोगों का जमावड़ा रोकने पुलिस आखिर क्यो नाकाम रही ये सवाल जरूर खड़े हो रहे हैं।