Sun, Dec 28, 2025

The Damoh story : पहले प्रशासन ने की लीपापोती ,अब खुलने लगी प्याज के छिलको की तरह परतें

Written by:Pooja Khodani
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The Damoh story : पहले प्रशासन ने की लीपापोती ,अब खुलने लगी प्याज के छिलको की तरह परतें

Damoh Ganga Jamuna School : दमोह के गंगा जमुना स्कूल में धर्मांतरण कराने का मामला भी सामने आया है। दरअसल राज्य बाल आयोग के टीम को तीन ऐसे शिक्षक मिले हैं, जिनको प्रलोभित करके मुस्लिम धर्म में परिवर्तित कराया गया। राज्य बाल आयोग को इस स्कूल को विदेशी फंडिंग होने की भी आशंका है। द केरला स्टोरी की तर्ज पर दमोह का गंगा जमुनी स्कूल भी दमोह स्टोरी जैसी इबारत लिखना चाहता था। यह हम नहीं कह रहे बल्कि राज्य बाल आयोग की टीम की रिपोर्ट कह रही है।

क्या है पूरा मामला

दरअसल, बाल आयोग के अध्यक्ष ओंकार सिंह के नेतृत्व में जब इस स्कूल का निरीक्षण किया गया तो पाया गया कि महिला प्रिंसिपल और दो महिला शिक्षिकायें स्कूल ज्वाइन करने के बाद में कन्वर्ट हुई हैं।इनमें प्रिंसिपल अफसरा अपने नाम के पहले खरे सरनेम लगाती थी अब शेख लगाने लगी। शिक्षिका अनीता खान पहले अनीता यादव थी। एक और शिक्षिका तबस्सुम खान पहले जैन थी। यह स्पष्ट नहीं हुआ कि यह धर्म परिवर्तन क्यों हुआ। लेकिन बाल आयोग को इस बात की पूरी उम्मीद है कि इन्हें परमानेंट करने का लालच देकर यह सब कराया जा रहा था।

2012 से ही चल रहा था खेल

1208 बच्चों वाली स्कूल में हिंदू लड़कियों को 2012 से ही हिजाब पहनाया जा रहा था, ऐसा राज्य बाल आयोग के अध्यक्ष का कहना है।आयोग की एक अन्य सदस्य मेघा पवार के अनुसार छात्राओं ने बताया कि स्कूल में चार तरह की इस्लामिक प्रार्थनाएं रोज होती थी। हिजाब न पहनने पर स्कूल का स्टाफ नाराज होता था। छठी से 11वीं की हर छात्रा को हिजाब पहनना जरूरी था। राज्य बाल आयोग ने स्कूल से रिकॉर्ड जप्त कर लिया है जिसे राज्य बाल आयोग को भेजा जाएगा। इधर, राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने कई बिंदुओं पर जांच कराने के लिए दमोह पुलिस अधीक्षक को एक पत्र लिखा है, जिसमें विदेशी फंडिंग की जांच भी कराई जाने की बात कही गई है।

मान्यता निरस्त, फिर भी खड़े हो रहे सवाल

इस पूरे मामले में हैरत की बात यह है कि दमोह का जिला प्रशासन शुरू से ही इस मामले पर पर्दा डालने की कोशिश करता रहा। एक पोस्टर, जिसमें गैर इस्लामिक लड़कियों को हिजाब पहने दिखाया गया था, वायरल होने की जब शिकायत बीजेपी प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य सुरेंद्र शर्मा ने की तो कलेक्टर मयंक अग्रवाल ने आनन-फानन में इस स्कूल को क्लीन चिट दे डाली।बाद में हिंदू संगठनों ने उग्र प्रदर्शन किया और मुख्यमंत्री को भी इस मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा। उसके बाद भी जब मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया कि स्कूल की मान्यता रद्द कर दी गई है तो कलेक्टर मयंक अग्रवाल ने कहा कि मान्यता रद्द नहीं की गई है केवल उसे निरस्त किया गया है। यह समझ से परे है कि आखिरकार इस स्कूल पर दमोह के जिला प्रशासन की मेहरबानी किस वजह से है।