कच्ची सड़क वाला यह गांव बारिश में बन जाता है दलदल, ग्रामीणों की प्रशासन नहीं ले रहा सुध

Gaurav Sharma
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दमोह,गणेश अग्रवाल।जिले के पटेरा विकासखंड अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत विलगुवा के ग्राम तिरगढ़ में लोगों को इस समय बारिश के पानी के कारण समस्या का सामना करना पड़ रहा है।तिरगड से तालाब की ओर जो रास्ता है वह बारिश के पानी में कीचड़ बन जाता है, जिस कारण वहां से छोटे-छोटे बच्चों एवं महिलाओं को निकलने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

दरअसल ,हटा विधानसभा  के अंतर्गत आने वाले इस गांव में बारिश के पानी से कीचड़ और दलदल के हालात निर्मित हो जाते है, जिस कारण से छोटे बच्चे और बुजुर्ग 2 फुट पानी में से निकलने को मजबूर हैं। इस गांव के लोग जनप्रतिनिधियों से कहने के बावजूद भी समस्याओं से निजात नहीं पा रहे हैं।

ग्रामीण ने बताया कि जब उन लोगों ने सरपंच से बोला कि यहां यह पानी भरा है, कीचड़ है, आने जाने में बहुत समस्या हो रही है, कोई बीमार हो जाए या कोई दुर्घटना हो जाए तो जाने में बहुत समस्या हो रही है, तो यहां पर सीसी निर्माण या मुरमी करण किया जाए। लेकिन वहां के लोगों की किसी ने नहीं सुनी। ऐसी बारिश में गंदा पानी पीने को ग्रामीण मजबूर है। वहीं वहां की महिलाएं नाले का गंदा पानी भर रही हैं, जिसे पीने से कई प्रकार की बीमारियां उत्पन्न हो रही हैं।

ग्राम पंचायत में नल जल योजना चल रही है, लेकिन गांव से थोड़ी दूर जहा से 25 परिवार रहते हैं, उन्हें  बहुत परेशानी का सामना करना पड रहा है । गंदा पानी पीने पर मजबूर हैं वहां के ग्रामीण । ग्रामीणों का कहना है कि हर दिन की समस्या से निजात दिलाने के लिए शासन प्रशासन उन पर ध्यान दें  जिससे  वे गांंव  में अच्छा जीवन जी सके ।

 


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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