केंद्रीय संस्कृति मंत्री ने पुरातत्व संग्रहालय का किया भ्रमण, कहीं ये जरूरी बात

दमोह, गणेश अग्रवाल। भारत सरकार के केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल लगातार ही दमोह जिले की सांस्कृतिक विरासत को विश्व मानस पटल पर नए आयाम के साथ स्थापित करने की कोशिश में लगे हैं। यही कारण है कि दमोह के प्राचीनतम अभिलेखों को एक नई पहचान दिलाने के लिए वह काम कर रहे हैं। दमोह प्रवास के दौरान उन्होंने पुरातत्व संग्रहालय का भ्रमण किया, इस दौरान उनके साथ पुरातत्व के जानकार लोग भी मौजूद थे।

दरअसल, केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल दमोह प्रवास के दौरान पुरातत्व संग्रहालय पहुंचे, जहां पर उन्होंने पुरातत्व के कुछ जानकारों के साथ यहां का भ्रमण किया।  साथ ही दमोह के संग्रहालय में विशेष रूप से मौजूद प्रतिमाओं के बारे में यहां के पुरातत्ववेत्ता से जानकारी हासिल की। केंद्रीय संस्कृति मंत्री ने पूरे संग्रहालय में भ्रमण करने के साथ यहां पर मौजूद जिले की सांस्कृतिक विरासत से भी अवगत कराया।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।