उत्तरकाशी में टनल से मजदूरों को बाहर निकालने में बुन्देलखण्ड के श्रमिकों का है खास योगदान, अब इनके लिए उठी बहादुरी अवार्ड की मांग

Amit Sengar
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Damoh News : उत्तराखंड के उत्तरकाशी में टनल में फंसे 41 मजदूरों के सकुशल बाहर निकलने के बाद जहां पूरे देश मे खुशी की लहर है तो देश मजदूरों के जज्बे को सलाम भी कर रहा है। देश के अलग-अलग हिस्सों के इन मजदूरों को लेकर उनके परिजन परिचित और क्षेत्रवासी खुश हैं तो इन मजदूरों को बचाने में अहम भूमिका निभाने वाले मजदूरों को भी मान सम्मान और अवार्ड की मांग उठने लगी है।

बुंदलेखंड के इन श्रमिकों के लिए ये मांग की

बता दें कि इस रेस्क्यू ऑपरेशन में मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड अंचल के श्रमिकों का खास योगदान रहा है जिन्होंने इस ऑपरेशन को अंजाम तक पहुंचाने में कारगर भूमिका निभाई और अब इन मजदूरों को नगद पुरुस्कार के साथ ब्रेवरी अवार्ड देने की मांग हुई है। समाजसेवी और सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट जया ठाकुर ने बचाव कार्य मे लगे बुंदलेखंड के इन श्रमिकों के लिए ये मांग की हैं।

दरअसल टनल में चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन में बुन्देलखण्ड के टीकमगढ़ जिले के पारंगत श्रमिकों की एक टीम यहां पहुंची थी। रेट माइनर्स इस टीम में 6 सदस्य हैं। टनल में जब मशीनो से ड्रिलिंग में परेशानी आई तो मैन्युअली ड्रिलिंग के लिए इस टीम को बुलाया गया। बेहद जोखिम भरे इस काम को टीकमगढ के इन श्रमिकों ने अंजाम दिया। छः लोगो की इस टीम में 5 प्रसादी लोधी, राकेश राजपूत , बाबू दामोर, भूपेन्द्र राजपूत, और जैतराम टीकमगढ़ जिले के कलवारा गावँ के है जबकि छठवा सदस्य सूर्य कुमार बिहार का रहने वाला है।
दमोह से दिनेश अग्रवाल की रिपोर्ट


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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