सेवढ़ा,राहुल ठाकुर। मध्यप्रदेश (mp news) की अजब गजब नगर परिषद जहां पर बाल मजदूरी सफाई कर्मचारियों द्वारा कराई जाती है जी हाँ हम बात कर रहे सेवढ़ा नगर परिषद की जहाँ पर ठेकेदार की लापरवाही कहे या नगर परिषद सेवढ़ा की अनदेखी जहाँ पर आए दिन बच्चे-बच्चियों के फोटो और वीडियो मीडिया कर्मियों के सामने आते है। जहाँ पर कम उम्र के बच्चों के हाथों पर कलम की जगह कचड़े उठाने वाले औजार नजर आते है तो कहीं झाड़ू दिखाई देती है।
बता दें कि जिम्मेदार अधिकारी अपने एसी वाले चेम्बर में गप्पे लड़ाते नजर आते है, ठीक ऐसा ही वाक्या सेवढ़ा नगर परिषद का इन दिनों सामने आया है, जहाँ पर पुराने थाने के पास जब दतिया कलेक्टर संजय कुमार सिंह किसी अशासकीय कार्यक्रम में उनका आने का प्रोग्राम जैसे ही तय हुआ तो आनन-फानन में सफाई व्यवस्था सड़कों पर देखने को मिली। वहीं सफाई तो की गई लेकिन साफ सफाई की जिम्मेदारी एक छोटे से युवक को दी गई ये बड़े आश्चर्यजनक बात निकलकर सामने आई तब यह दृश्य देखने को मिला कि कलेक्टर साहब के ठीक आने के 10 मिनट पहले एक छोटा सा लड़का जिसकी उम्र महज 10-12 साल होगी वह कचरा गाड़ी में अपने हाथों से कचड़े के ढेर को उठाकर डाल रहा था।
प्रदेश में बाल श्रमिकों की संख्या सात लाख से अधिक है, तो यह आंकड़ा मध्यप्रदेश की शर्मनाक तस्वीर को दर्शाता है, बता दें कि राष्ट्रीय बाल आयोग ने श्रम विभाग और कुछ एनजीओ की मदद से प्रदेश में बाल श्रमिकों को तलाशने का काम शुरू किया है। इस दौरान भोपाल में ऐसे करीब 19 हजार बच्चे पाए गए और प्रदेश में यह संख्या 7 लाख 239 पायी गयी। लेकिन इनमे से महज 150 बच्चों का ही रेस्क्यू किया जा सका है। अगर बाल श्रमिकों की संख्या को देश के लिहाज से देखें तब मध्यप्रदेश का पांचवां स्थान है।
About Author
Amit Sengar
मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।
वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”