Datia News : एक ओर सरकार और चिकित्सा विभाग की ओर से लोगों को बेहतर चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने के दावे किए जा रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर चिकित्सा महकमे के अधिकारी सरकारी योजना को पलीता लगाते दिखाई दे रहे हैं। ऐसा ही मामला मध्य प्रदेश के दतिया जिला से सामने आ रहा है। जो मरीजों को निशुल्क योजना के तहत वितरित की जाने वाली दवा कचरे के ढेरों में फेंकी जा रही हैं। अब अस्पताल के जिम्मेदार एक-दूसरे को जिम्मेदार बता रहे हैं। किसी के पास जवाब नहीं है कि आखिर ऐसे कैसे हुआ। जबकि मंगलवार को शहर के ट्रेंचिंग ग्राउंड में पड़ी मिली दवाओं की एक्सपायरी डेट दिसंबर 2024 और 25 है।
क्या है पूरा मामला
बता दें कि सिटी से बाहर नगर पालिका के ट्रेंचिंग ग्राउंड में जिला अस्पताल की विभिन्न दवाएं बड़ी तादाद में पड़ी मिली हैं। यह दवाएं यहां कैसे आईं, कौन इन्हें लेकर आया, किस के आदेश पर यह हुआ, इस बात का किसी के पास कोई जवाब नहीं है। कचरे में दवाइयों के कई पैकेट पड़े हैं। दवाइयों की जली हुई पन्नियां और दवाओं से भरी बोतलें भी पड़ी हैं।

इन दवाइयों की एक्सपायरी डेट होने में अभी लगभग एक साल का समय है। इन दवाइयों की कीमत बाजार में हजारों रुपए है। बताया जा है कि यह दवाइयां सरकारी एम्बुलेंस में भरकर यहां फेंकी गई हैं। फिलहाल सूचना लगते ही स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे। वहीं मामले को लेकर सीएमएचओ ने जांच की बात कही है।
भोपाल मे TB दवाओं का टोटा, दतिया में कचरे में मिली दवाईयां…@rshuklabjp @healthminmp @MoHFW_INDIA @CDatia #datia #दतिया pic.twitter.com/V1ui65Iuyx
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देखें क्या बोले जिम्मेदार, दिया अजीबोगरीब जवाब
सिविल सर्जन के सी राठौर का कहना है कि दवाओं की जांच कराई जाएगी, इतनी मात्रा में दवा वहां कैसे पहुंची। आगे कहा कि इन दवाओं को पेशेंट द्वारा भी फेंका जा सकता हैं। जो पेशेंट दवाओं को इधर से लेकर वह घर पर इकट्ठा करके कचरे के ढेर में फेंक देते है।
कचरे के ढेर में सरकारी दवायें मिलने पर जिम्मेदारों का सुनिये जवाब …@rshuklabjp @healthminmp @MoHFW_INDIA @CDatia #datia #दतिया pic.twitter.com/wkeoOsZbFD
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CMHO नहीं रहते जिला मुख्यालय में उपस्थित
इतना ही नहीं दतिया जिला चिकित्सालय के सीएमएचओ आरबी कुरेले पर भी लोगों के यह आरोप हैं कि वह जिला मुख्यालय में उपस्थित नहीं रहते हैं बल्कि दोपहर को ही डबरा जहां उनकी पत्नी विभा कुरेलेे अपना निजी अस्पताल चलाती हैं चले जाते हैं। ऐसे में निश्चित तौर पर मरीजों के लिए परेशानी पैदा होना एवं जिला अस्पताल में व्यवस्थाएं अस्त व्यस्त होना निश्चित है।
दतिया से सतेंद्र रावत की रिपोर्ट