दीपावली दौज मेले के लिए तैयार है रतनगढ़ माता का मंदिर

सेवढ़ा,राहुल ठाकुर। ऊपर खुला आसमान नीचे दूर-दूर तक फैली विंध्य पर्वत श्रृंखलाएँ। इन हरी भरी पर्वत श्रृंखलाओं के मध्य मुकुट की तरह नज़र आता है रतनगढ़ माता का मंदिर (ratangarh mata temple)। पूरब दिशा में प्रवाहित सिंध नदी आगे मुड़ने पर ऐसे नज़र आती है जैसे मुड़ मुड़ कर माता के दर्शन को आतुर हो। प्रकृति का ऐसा सुहाना दृष्य कभी कभी ही देखने को मिलता है। आंखे देखते देखते थकती नही। हरियाली साथ साथ सात्विकता ओढ़े इन मनोरम दृष्यों को हर कोई मन मे आँखों मे भर लेना चाहता है।

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Amit Sengar

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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है। वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”