दतिया/सत्येंद्र रावत
कोविड-19 के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लॉक डाउन 3 मई तक बढ़ाया गया है, जिसमें 15 अप्रैल से 20 अप्रैल तक के लिए वरिष्ठ अधिकारियों ने टोटल लॉक डाउन के तहत प्रदेश के सभी जिला सीमाएं बंद कर दी गई है। लेकिन इस दौरान बॉर्डर पर बसे लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। कभी बीमारी की हालत में तो कभी आवश्यक सामग्री लाने ले जाने में उन्हें काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
सबसे बड़ी बात ये कि बॉर्डर पर लगी फोर्स के कारण बिना परमिशन उन्हें एक जिले से दूसरे जिले में सामान लेने के लिए नहीं जाने दिया जा रहा है। हालांकि ये जरूरी भी है और नाकाबंदी पर बैठी पुलिस अधिकारियों से इस संबंध में जानकारी प्राप्त की गई तो उनका साफ तौर पर कहना था कि जिला पुलिस अधीक्षक के निर्देशन पर किसी भी आम इंसान को बिना परमिशन के निकलने की इजाजत नहीं है और यदि जिला अधिकारियों की स्वीकृति होगी तो हम किसी भी व्यक्ति को नहीं रोकेंगे। वही जो गंभीर रोगों से पीड़ित है उन्हें निकलने के लिए नहीं रोका जा रहा है लेकिन जो अनावश्यक रूप से इधर से उधर जा रहे हैं उनके कारण अव्यवस्था फैल रही है इसलिए इन्हें इसी स्थान पर रोककर उन्हें वापस उनके घर लौटाया जा रहा है।