MP News : सियासत में ऊंट कब किस करवट बैठ जाए, नहीं कहा जा सकता है। ऐसा ही ताजा मामला मध्यप्रदेश की सियासत में पिछले दिनों देखने को मिला है। सिद्धांतो और विचारों की दुहाई देने वाली भाजपा प्रदेश में अपने पितृ पुरुष व पूर्व मुख्यमंत्री स्व.कैलाश जोशी के पुत्र को भी नही साध सकी, नतीजन दीपक जोशी कांग्रेसी हो गए। दीपक जोशी का कांग्रेस में जाना किसी भी राजनीतिक क्षेत्र की सामान्य घटना हो सकती है,परंतु राजनीति के संत कैलाश जोशी के बेटे का उपेक्षित हो कर पार्टी छोड़ना भाजपा के लिए गलत संदेश दे गया। जोशी ने भी अपने पिता के नाम को खूब भुनाया,बयानों में भी स्व.जोशी को ही केंद्र में रखा व प्रमुख रूप से पिता के अधूरे स्मारक को ही मुद्दा बनाया। अब कांग्रेस में जाने के बाद जोशी भी आक्रामक नजर आ रहे है। सीएम शिवराज से लेकर हाटपिपल्या से भाजपा विधायक मनोज चौधरी तक उनके निशाने पर है।
खास बात यह है कि कांग्रेस में सम्मिलित होने के बाद जोशी द्वारा जय परशुराम का नारा लगातार बुलंद किया जा रहा है। घर से भी वे ब्रह्म शक्ति व भगवान परशुराम का प्रतीक फरसा लेकर ही घर से निकले। सोमवार को उन्होंने पूर्व केंद्रीय मंत्री व कांग्रेस के बड़े ब्राह्मण नेता सुरेश पचौरी से मुलाकत की। पचौरी ने भी जोशी को फरसा ही भेंट किया। जोशी के सोशल मीडिया हैंडल पर भी जय परशुराम लिखा हुआ है। राजनीति पंडितों की मानें तो यह ब्राह्मण वोटर्स को साधने का तरीका हो सकता है। पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी भाजपा के एकमात्र ब्राह्मण मुख्यमंत्री थे। मालवांचल में स्व.कैलाश जोशी का खास प्रभाव था। अब कांग्रेस दीपक जोशी मालवा के ब्राह्मणों को साधने में पूरा उपयोग करेगी। मालवा की करीब एक दर्जन सीटों पर ब्राह्मण वोटर्स का प्रभाव है। इंदौर, उज्जैन, देवास, खातेगांव, खरगोन में तो ब्राह्मण वोटर्स प्रमुख भूमिका निभाते हैं। इसी के साथ प्रदेश की ऐसी कई सीटें हैं जहां ब्राह्मण समुदाय अपना वर्चस्व रखते हैं। ऐसे में कांग्रेस भी दीपक जोशी को ब्राह्मण चेहरे के रूप में प्रयोग करने का पूरा प्रयास करेंगी।
बागली में आज भी है स्व.कैलाश जोशी का प्रभाव
आदिवासी बाहुल्य बागली विधानसभा में स्व.कैलाश जोशी का खासा प्रभाव रहा। स्व.जोशी ने जिसके ऊपर हाथ रखा वही यहां से विधायक बना। कैलाश जोशी को आज भी क्षेत्र की आदिवासी जनता द्वारा उसी सम्मान से देखा जाता है। उनके निधन के बाद यहां पहली बार चुनाव होंगे। अब दीपक जोशी भी कांग्रेस में है। ऐसे में यदि स्व.जोशी के अपमान की बात क्षेत्र में प्रसारित होंगी तो समीकरण बदलने में भी देर नहीं लगेगी। इसका प्रभाव समीप ही लगी विधानसभा हाटपिपल्या व खातेगांव मे भी देखने को मिल सकता है।
देवास/बागली से सोमेश उपाध्याय की रिपोर्ट